यहां जाने के इच्छुक लोगों के लिए इन दिनों फेसबुक पर ‘स्टॉर्म एरिया-51’ अभियान चल रहा है। इसमें अब तक करीब पांच लाख लोग जुड़ चुके हैं। ये लोग मध्य सितंबर में ‘नारूतो रन’ के माध्यम से इस इलाके में घुसेंगे। नारूतो रन ऐसी दौड़ है, जिसमें गर्दन आगे की ओर झुका कर और हाथ पीछे कर तेज गति से दौड़ा जाता है। इस क्षेत्र में ही अमरीकी सेना ने अपना पहला ड्रोन परीक्षण किया था। अमरीकी वायु सेना के प्रवक्ता लारा मैएंड्रयूज ने कहा कि सैन्य अधिकारी फेसबुक अभियान से वाकिफ हैं। यह पूछे जाने पर कि सितंबर में एरिया 51 में प्रवेश करने का इरादा रखने वाले उत्साही लोगों से कैसे निपटेंगे? मैएंड्रयूज ने कहा, वे उस योजना के बारे में नहीं बता सकते। यहां अलौकिक जीवन जैसी कोई बात नहीं है। इस क्षेत्र में घुसने से पहले ही चेतावनी संकेत लगे हुए हैं। जो किसी को भी यहां जाने की अनुमति नहीं देते।
फेसबुक अभियान
‘स्टॉर्म एरिया 51’ में अब तक दुनियाभर के पांच लाख 40 हजार लोग हस्ताक्षर कर चुके हैं। योजना के मुताबिक ये लोग मध्य सितंबर में नेवादा में इकट्ठा होंगे और यहां के रहस्यों को जानने के लिए जबरन इस क्षेत्र में प्रवेश करेंगे।
‘स्टॉर्म एरिया 51’ में अब तक दुनियाभर के पांच लाख 40 हजार लोग हस्ताक्षर कर चुके हैं। योजना के मुताबिक ये लोग मध्य सितंबर में नेवादा में इकट्ठा होंगे और यहां के रहस्यों को जानने के लिए जबरन इस क्षेत्र में प्रवेश करेंगे।
क्या सुलझेगी पहेली
‘एरिया 51‘ वर्षों से पूरी दुनिया के लिए पहेली बना हुआ है। लोगों का मानना है कि करीब 85 हजार एकड़ में फैले इस इलाके में एलियन्स देखे गए हैं। कहा जाता है कि अमरीका परग्रही प्राणियों को यहां कैद कर उन पर शोध करता है।
‘एरिया 51‘ वर्षों से पूरी दुनिया के लिए पहेली बना हुआ है। लोगों का मानना है कि करीब 85 हजार एकड़ में फैले इस इलाके में एलियन्स देखे गए हैं। कहा जाता है कि अमरीका परग्रही प्राणियों को यहां कैद कर उन पर शोध करता है।
एरिया 51 पर एक नजर
-130 किलोमीटर दूर है एरिया 51 लास वेगास से।
– 85 हजार एकड़ में फैला है ये इलाका
– 5 लाख 40 हजार लोग जुड़ चुके हैं फेसबुक पर इस अभियान के जरिए
– 1955 में अमरीकी वायु सेना ने यहां बेस बनाया
-130 किलोमीटर दूर है एरिया 51 लास वेगास से।
– 85 हजार एकड़ में फैला है ये इलाका
– 5 लाख 40 हजार लोग जुड़ चुके हैं फेसबुक पर इस अभियान के जरिए
– 1955 में अमरीकी वायु सेना ने यहां बेस बनाया