टीम ने झील में लगे करीब एक दर्जन नलकूप
JCB से नष्ट किए और केबल, पाइप, मोटर-तार जब्त किए। एनजीटी के आदेशों की अनुपालना में यह कार्रवाई की गई। हालांकि एनजीटी के दो साल पहले हुई कार्रवाई राजनीति की भेंट चढ़ गई थी। ग्राम मोहनपुरा होते हुए जाब्दीनगर व गुढ़ा-साल्ट तक करीब 25 किलोमीटर दूरी तक अब भी झील में तारों का जाल फैला हुआ है।
READ : बैंक का इंटरव्यू देने आया, जिस दोस्त के घर ठहरा, उसी ने घोंपा पीठ में चाकू, देर रात उतारा मौत के घाट कम हो गए हैं विदेशी परिंदे झील सूखने के बाद बारिश के दिनों में झील में प्रवास के लिए आने वाले विदेशी परिंदे भी कम हो गए हैं। जबकि यहां फ्लेमिंग (
Flaming ) साइबेरियन सारस (
Siberian Crane ) सहित कई प्रवासी पक्षियों का ठहराव होता है ।
READ : पंचायती राज संस्थाओं में रिक्त पदों पर उपचुनाव के लिए कार्यक्रम घोषित, 30 जून को होगा मतदान, ये रहेगा पूरा शेडयूल एनजीटी से पहले सुप्रीम कोर्ट (
Supreme Court ) की ओर से भी झील सरंक्षण को लेकर आदेश दिए जा चुके है। जिस पर पिछली कांग्रेस सरकार ने प्रयास भी किया। सरकार के आदेशों पर प्रशासनिक अधिकारी दल बल के साथ झील में कार्रवाई के लिए पहुंचे। लेकिन नमक उद्यमियों के विरोध और बाद में सरकार के हस्तक्षेप से कोई कार्रवाई नहीं हो सकी और दल को बैरंग ही लौटना पड़ा।