बालिका तेहरुन ने बताया कि जब से उसे याद है, तब से वह बालिका गृह में ही रह रही है। बालिका के भाई रिजवान ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के गौंड़ा जिले के रहने वाले हैं। साल 2009 में उनकी बहन घर से निकल गई थी, उस समय वह सात साल की थी। तेहरुन के जाने के बाद पापा और बड़ी अम्मी भी गुजर गए। हमें उम्मीद नहीं थी कि यह हमकों कभी वापस मिल पाएगी।
समिति की सदस्य निशा पारीक ने बताया कि साल 2012 में तेहरुन उदयपुर से जयपुर आई थी। यहां स्टेशन पर पुलिस वाले पकड़कर लाए थे। इससे पहले बालिका तीन साल उदयपुर रही। वहां तीन साल एक महिला ने उसे अपने घर में रखा। 2012 से शहर की संस्थाओं में रह रही है। पिछले एक साल से इसका घर ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। तभी लॉस्ट एंड फाउंड संस्था के राहुल से मुलाकात हुई। उन्होंने बच्ची की कई बार काउंसलिंग की। बच्ची का परिवार गौंडा जिले में मिला। आज बच्ची अपने घर वापस जा रही है।