यह बांध भी 2001 की मांग को देखते हुए तैयार किया गया था। 1060 एमसीएफटी के इस बांध का 862 एमसीएफटी पानी पेयजल के रूप में उपयोग में लिया जा रहा है। मानसी वाकल तृतीय योजना का बांध 2021 की मांग को देखते हुए प्रस्तावित था। यह बांध बिरोठी के पास बनाया जाना था। इस बांध में 2566 एमसीएफटी क्षमता का बनाया जाना था लेकिन ये अब तक तैयार नहीं हो सका है क्योंकि सर्वे होने के बाद बजट नहीं दिया गया। इस बांध में एक बाधा यह भी है कि कुछ मामूली आबादी क्षेत्र बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। ऐसे में वोट बैंक के चलते जनप्रतिनिधि हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। मानसी वाकल चतुर्थ चरण के बांध को लेकर भी सर्वे हुआ था। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह वन क्षेत्र में आता है, परन्तु इसकी एनओसी वन विभाग से ली जा सकती है। यहां भी मेवाड़ के नेताओं की इच्छाशक्ति व उनके बौने नेतृत्व का अभाव साफ दिखने को मिला। यह बांध खांचन पुलिया के पास बनाया जाना था। इस बांध में 1223 एमसीएफटी पानी उपलब्ध हो सकता है। इसका पानी 66 किलोमीटर की टनल से ग्रेविटी से जयसमंद झील में पहुंचाया जा सकता है लेकिन इसका काम तो दूर योजना को मूर्त रूप देने के लिए बजट का प्रावधान ही नहीं किया।