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व्यर्थ बह जाता है 3800 एमसीएफटी पानी

locationजयपुरPublished: Aug 23, 2019 07:12:26 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

व्यर्थ बह जाता है 3800 एमसीएफटी पानीभर सकते हैं ९ फतेहसागरवेपकॉस की रिपोर्ट में हुआ खुलासागुजरात जा रहा उदयपुर का पानी

व्यर्थ बह जाता है 3800 एमसीएफटी पानी

व्यर्थ बह जाता है 3800 एमसीएफटी पानी

झीलों की नगरी उदयपुर (Udaipur ) में पानी ( Water ) लगातार कम होता जा रहा है। हम पानी होते हुए भी उसे सहेज नहीं पा रहे हैं। इन्द्र देवता जो पानी हमारी धरा पर बरसाता है, वह बहकर समीपवर्ती राज्य गुजरात ( Government ) चला जाता है। राज्य सरकार ने योजनाएं तो बनाई लेकिन वे कागजों से निकल कर धरातल पर नहीं दिख रही हैं। राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में योजनाएं पूरी नहीं हो पा रही हैं। यह खुलासा हुआ है वेपकॉस की रिपोर्ट में …
वेपकॉस ने अपनी रिपोर्ट में माना कि प्रतिवर्ष करीब 3800 एमसीएफटी पानी बांध बनाकर सहेज सकते हैं। अभी ये पानी व्यर्थ ही बहकर गुजरात चला जाता है, जिससे उदयपुर के करीब 9 फतेहसागर भर सकते हैं। करीब 37 वर्ष पहले उदयपुर में पेयजल की समस्या खड़ी होने लगी थी जिसे 1982 में ही भांप लिया गया था तब तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मोहनलाल सुखाडिय़ा ने मानसी वाकल की विभिन्न योजनाएं रखी। इसके तहत बांध बनाए जाने थे। वर्ष 1987 में वेपकॉस को सर्वे सौंपा गया जिसकी रिपोर्ट 1990 में तैयार हुई। तब तीन बांध बनाने पर विचार किया गया। बाद में प्रथम चरण का गोराणा बांध बनाया गया जिससे आज भी उदयपुर को पेयजल सप्लाई हो रहा है लेकिन बिरोठी और लंगोटिया भाटा का बांध अधरझूल है। इस बीच, उदयपुर शहर का विस्तार हुआ और आबादी तो बढ़ी लेकिन पानी के लिए बांध नहीं बनाए गए। वेपकॉस की रिपोर्ट के अनुसार उदयपुर जिले के कोटड़ा क्षेत्र में साबरमती बेसिन के आसपास से करीब 3800 एमसीएफटी से अधिक पानी बहकर गुजरात चला जाता है। वेपकॉस ने कहा कि देवास तृतीय के तहत बिरोठी में 2550 एमसीएफटी से अधिक तथा देवास चतुर्थ के तहत वाकल नदी पर खांचन पुलिया के निकट 1250 एमसीएफटी से अधिक पानी के संचय के लिए बांध बनाना जाए जिससे वहां 3800 एमसीएफटी से अधिक पानी गुजरात जाने से रोका जा सकेगा। मानसी वाकल के बांधों को लेकर एजेंसी वेपकॉस के सर्वे में इन्हें मेवाड़ के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना। योजना में एक ही कमी है कि इसका पानी लिफ्ट कर शहर तक पहुंचाना होगा। यह उल्लेखनीय है कि अभी भी मानसी वाकल का पानी लिफ्ट करके ही लाया जा रहा है तो इन दोनों बांधों का पानी भी लिफ्ट करके लाया जा सकता है।
ऐसे समझें पूरी योजनाओं को

मेवाड़ के लिए बहुउपयोगी मानसी वाकल की चार योजनाओं में से प्रथम चरण गोराणा बांध बनाया गया।
यह बांध भी 2001 की मांग को देखते हुए तैयार किया गया था। 1060 एमसीएफटी के इस बांध का 862 एमसीएफटी पानी पेयजल के रूप में उपयोग में लिया जा रहा है। मानसी वाकल तृतीय योजना का बांध 2021 की मांग को देखते हुए प्रस्तावित था। यह बांध बिरोठी के पास बनाया जाना था। इस बांध में 2566 एमसीएफटी क्षमता का बनाया जाना था लेकिन ये अब तक तैयार नहीं हो सका है क्योंकि सर्वे होने के बाद बजट नहीं दिया गया। इस बांध में एक बाधा यह भी है कि कुछ मामूली आबादी क्षेत्र बांध के डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। ऐसे में वोट बैंक के चलते जनप्रतिनिधि हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। मानसी वाकल चतुर्थ चरण के बांध को लेकर भी सर्वे हुआ था। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह वन क्षेत्र में आता है, परन्तु इसकी एनओसी वन विभाग से ली जा सकती है। यहां भी मेवाड़ के नेताओं की इच्छाशक्ति व उनके बौने नेतृत्व का अभाव साफ दिखने को मिला। यह बांध खांचन पुलिया के पास बनाया जाना था। इस बांध में 1223 एमसीएफटी पानी उपलब्ध हो सकता है। इसका पानी 66 किलोमीटर की टनल से ग्रेविटी से जयसमंद झील में पहुंचाया जा सकता है लेकिन इसका काम तो दूर योजना को मूर्त रूप देने के लिए बजट का प्रावधान ही नहीं किया।
अब देखना यह है कि वोट बैंक के चलते चुप बैठे जनप्रतिनिधि कब जागृत होंगे और कब यह महत्वाकांक्षी योजना पूरी हो सकेगी।

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