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प्रदेश में चल रही 108 एंबुलेंस सेवा का बुरा हाल

locationजयपुरPublished: Aug 03, 2019 06:11:22 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

108 Ambulance : Rajasthan में चल ही 108 Ambulance Service बुरी तरह से Bad Condition हो गई है। इसका मुख्य कारण एंबुलेंस के वाहनों के Service Running का अभाव होना है। आए दिन किसी ना किसी Ambulance का break down होता रहता है। खराब vehicle’s की दुर्दशा को सुधारने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा खमियाजा Patients को भुगतना पड़ रहा है।

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Ambulance

जयपुर . प्रदेश ( Rajashthan ) में चल ही 108 एंबुलेंस ( 108 ambulance ) सेवा बुरी तरह से लरचरा ( Bad Condition ) गई है। इसका मुख्य कारण एंबुलेंस ( Ambulance ) के वाहनों ( vehicle’s ) के रख रखाव का अभाव होना है। आए दिन किसी ना किसी एंबुलेंस का ब्रेक डाउन ( break down ) होता रहता है। खराब वाहनों की दुर्दशा को सुधारने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा खमियाजा मरीजों ( patients ) को भुगतना पड़ रहा है।
प्रदेश में चल रही 108 एंबुलेंस सेवा का बुरा हाल
एंबुलेंस के वाहनों का नहीं हो रहा रख-रखाव
आए दिन हो रही है ब्रेक डाउन की शिकायतें
मरीजों को भुगतना पड़ रहा है खमियाजा


राज्य सरकार ने 20 सितंबर 2008 को निशुल्क एंबुलेंस सेवा शुरू की थी। कहने को तो प्रदेश में 108, 104 व बेस एंबुलेंस की संख्या 1500 से ज्यादा है। इनमें से करीब 250 एंबुलेंस तो खराब पड़ी है। जिन्हें कई बार सुधारा पर कुछ समय ठीक चलने के बाद वे दोबारा खराब हो जाती है। इसके अलावा 200 एबुंलेंस ऐसी हैं जो कभी भी ब्रेक डाउन की शिकायतें लगातार बढ़ रही है। राज्य सरकार ( state government ) की इस सुविधा की सभी ने सराहना की। लेकिन एंबुलेंस की खराब स्थिति के चलते मरीजों को इन दिनों काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। उधर एंबुलेंस पर कार्यरत कर्मचारी भी वाहनों की स्थिति सुधारने की मांग कर चुके हैं पर अभी तक उनकी मांगों की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। 200 वाहनों के रिप्लेसमेंट ( Replacement ) का मामला भी अभी पाइप लाइन ( Pipe Line ) में ही है।

केस एक -:
दो दिन पूर्व चूरू में एक मरीज की तबीयत खराब होने पर एंबुलेंस उसे जयपुर लेकर आ रही थी। एंबुलेंस वाहन तकनीकी खराबी के चलते ज्यादा तेज गति से चल नहीं पा रहा था, ऐसे में मरीज की तबीयत ज्यादा खराब हो गई और मरीज को जयपुर के बजाय सीकर के एक अस्पताल में भर्ती किया गया।

केस दो -:
पिछले दिनों एक मरीज को सवाई मानसिंह अस्पताल ले जा रही 108 एंबुलेंस टोंक रोड पुलिया भी नहीं चढ़ पाई। पुलिया की आधी चढ़ाई करने के बाद ड्राइवर को उसे रोकना पड़ा। बाद में दूसरी एंबुलेंस बुलाकर मरीज को अस्पताल भेजना पड़ा।

चिकित्सकीय उपकरण भी नहीं -:
मरीज को प्राथमिक उपचार देने से पहले शुगर जांच भी जरूरी होती है, लेकिन अधिकतर एंबुलेंस में ग्लूकोमीटर नहीं हैं। पल्स की जांच के लिए ऑक्सीमीटर, निम्बुलाईजर, सैक्शन मशीन तथा व्हील चेयर तक नहीं हैं। इसके अलावा भी कई छोटी-मोटी खामियां एंबुलेंस में है।

ये हाल है वाहनों के -:
कई एंबुलेंस का बम्पर टूटा हुआ है तो कुछ में मरीज के लिए लगाया गया पंखा खराब है। सीटें प्राय जवाब दे चुकी है। हाल यह है कि फाटक बंद करने में मशक्कत करनी पड़ती है। चालक व खलासी साइड के फाटक लॉक नहीं होते। इसके कारण कई बार रास्तों में खुलने की आशंका बनी रहती है। बारिश के मौसम में सामने के सीसे पर वाईपर काम नहीं करता। हैड़लाइट भी कमजोर है।
एंबुलेंस फैक्ट फाइल -:
प्रदेश में चल रही हैं 1516 एंबुलेंस
108 एंबुलेंस की संख्या है – 730
104 एंबुलेंस की संख्या है – 586
बेस एंबुलेंस की संख्या है – 200

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