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ऐसे तो कैसे कैटल फ्री होगा गुलाबी नगर… 10 हजार आवारा पशु पकड़ने थे, अब तक निगम एक हजार ही पकड़ पाया

locationजयपुरPublished: Aug 29, 2018 01:04:28 pm

Submitted by:

dharmendra singh

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cattle in city

10 हजार आवारा पशु पकडऩे थे, निगम एक हजार ही पकड़ पाया

जयपुर शहर में 35 हजार से ज्यादा आवारा मवेशी घूम रहे
जयपुर
राजधानी जयपुर को आवारा मवेशी मुक्त (कैटल फ्री) बनाने के लिए 4 टीमें गठित कर रखी हैं। 20 जून को गठित चारों टीमें अब तक एक हजार मवेशी भी नहीं पकड़ पाई हैं, जबकि इस समय जयपुर शहर में 35 हजार से ज्यादा आवारा मवेशी घूम रहे हैं। निगम की टीमें आवारा मवेशी पकडऩे में नाकाम साबित हो रही हैं।
निगम की टीमें आवारा मवेशी पकडऩे में नाकाम साबित हो रही
जानकारी के अनुसार नगर निगम ने सांड की टक्कर से विदेशी पर्यटक की मौत के बाद आवारा मवेशियों के खिलाफ अभियान छेड़ा था। चारदीवारी क्षेत्र में चल रही डेयरियों को हटाया गया था और मवेशियों को गौशाला में भेजा गया था। इसके बाद शहर की सड़कों पर घूम रहे करीब 10 हजार आवारा पशुओं के पकडऩे के लिए 20 जून को 4 टीमें गठित की गईं। 24 घंटे काम करने वाली इन प्रत्येक टीम के लिए 2 प्रभारी नियुक्त किए गए। साथ ही चारों टीमों में 32 लोगों को लगाया गया। इन टीमों को हर रोज 60 से 80 आवारा पशुओं को पकडऩे का टारगेट दिया गया। इन टीमों को अब तक 4,800 आवारा पशु पकडऩे थे। लेकिन ये टीमें एक हजार पशु भी नहीं पकड़ पाई हैं।
पुलिस के बिना मवेशी नहीं पकडऩे देते लोग
आवारा मवेशी पकडऩे से जुड़े नगर निगम के अधिकारी बताते हैं कि जब भी नगर निगम की टीम आवारा मवेशी पकडऩे जाती है, तो लोग विरोध करने लग जाते हैं। निगम टीम को खाली हाथ लौटना पड़ता है। यदि निगम टीम के साथ पुलिस जाप्ता हो तो आवारा मवेशियों की धरपकड़ करने में आसानी रहेगी। निगम प्रशासन से प्रत्येक टीम के साथ 3 से 4 पुलिसकर्मी तैनात करने के लिए कई बार पत्र लिखा जा चुका है। लेकिन अब तक पुलिस जाप्ता नहीं मिल पाया है।
8 टीम प्रभारियों में से 6 के पास कोई वाहन नहीं
निगम के 8 टीम प्रभारियों में से 6 के पास कोई वाहन नहीं है। ऐसे में वे अभियान की मॉनिटरिंग कैसे करें? शहर के डेयरी संचालकों ने रैकट बना रखा है, जैसे ही आवारा मवेशी पकडऩे के लिए निगम के पिंजरा वाहन रवाना होते हैं, वे लोग मोटरसाइकिल लेकर पीछे लग जाते हैं। अपने साथियों को पहले से ही सूचना देकर मवेशियों को भगा देते हैं।
एक मवेशी पकडऩे पर मिलते हैं 1,300
नगर निगम ने शहर में आवारा मवेशी पकडऩे का काम एक फर्म को दे रखा है। ठेकेदार फर्म को एक सांड पकडऩे पर 1,300 रुपए का भुगतान किया जाता है। इसी तरह गाय के लिए 900 और बछड़ों के लिए 750 रुपए का भुगतान होता है। पिछले साल के मुकाबले इस बार आवारा मवेशी पकडऩे का रेट ढाई गुना कर दिया गया है। इसके बावजूद शहर में आवारा मवेशी पकडऩे का अभियान नाकाम साबित हो रहा है।
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आवारा मवेशी पकडऩे वाले नगर निगम दस्ते के साथ पुलिस जाप्ता लगाने की दर?कार है। बिना पुलिस के लोग निगम टीम को मवेशी पकडऩे नहीं देते। लोग हमारे सामने से लोग मवेशियों को भगाकर ले जाते हैं और हम कुछ नहीं कर पाते। यदि पुलिस साथ होगी, तो लोग मवेशी पकडऩे का विरोध नहीं करेंगे।
-राजेन्द्र चित्तौड़ा, प्रभारी, नगर निगम टीम
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