दरअसल वाइल्ड लाइफ रिसर्चर अनुपम सिसोदिया और रवि नायडू ने अपने शोध में पाया कि यह तितली यहां हिमालयन वैली से ईस्टर्न घाट के रास्ते पहुंची है। ऐसे में इस बात को बल मिल रहा है कि बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के जंगल हिमालयन वैली के टच में हैं या दोनों के बीच में ईस्टर्न घाट की वजह से लिंक जरूर है। रिसर्च टीम के अनुपम सिसोदिया ने पत्रिका को बताया कि यह शोध का विषय है। फिलहाल हम इस पर कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कह सकते, लेकिन प्रारंभिक तौर पर जो बातें सामने आ रही हैं, उससे यही लग रहा है कि हिमालयन वैली का ओडिशा के ईस्टर्न घाट के जरिए बस्तर के जंगल से जुड़ाव है। इस पर शोध होना अभी बाकी है।
मध्य भारत की 148वीं तितली की खोज पूरी
हिमालयन वैगरेंट बटरफ्लाई मध्य भारत की 148वीं तितली रिकॉर्ड की गई है। वहीं अकेले कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में दर्जनभर से ज्यादा तितलियां रिकॉर्ड की गई हैं। वैगरेंट बटरफ्लाई कुरंदी के जंगल मिली है, जहां साल और बांस का जंगल हैं। यह इलाका इस प्रजाति की तितली के लिए मुफीद माना जा रहा है। यहां इसे सर्वाइव करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। इससे पहले यह झारखंड और ओडिशा के जंगलों में रिकॉर्ड की गई थी। छत्तीसगढ़ में पहली बार इसे खोजा गया है।
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