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अपनी ही योजना पर अमल नहीं कर पा रहा नगर निगम प्रशासन
बननी थीं सात मल्टीलेवल पार्किंग बना पाए सिर्फ एक, वह भी खाली
प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट-
मल्टी लेवल पार्किंग कॉन्सेप्ट इंदौर, भोपाल जैसे शहरों में भी नहीं है। प्रदेश में इसे सबसे पहले जबलपुर शहर में लागू किया गया है। प्रदेश सरकार ने इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया है।
मानस भवन पार्किंग में नहीं जाते चालक
मानस भवन में बनाई गई मल्टी लेबल पार्किंग में एक साथ 37 कारों को पार्क करने की सुविधा है। लेकिन यहां प्रतिदिन 10 से 15 वाहन ही पार्क हो रहे हैं। पार्किंग संचालन से जुड़े एक कर्मचारी ने बताया कि वाहन मालिकों से पार्किंग में वाहन पार्क करने के लिए कहने पर भी वे तैयार नहीं होते हैं।
तीन साल से चल रहा काम
शहर में मल्टी लेवल पार्किंग के लिए तीन सालों से काम चल रहा है। अब तक एक एक जगह ही पार्किंग तैयार हो सकी है। सभी जगह पार्किंग का निर्माण होने से 500 से 600 वाहनों को पार्क किया जा सकेगा। इससे व्यस्ततम मार्गों पर लगने वाले जाम से निजात मिलेगी।
यहां अब तक काम शुरू नहीं
शहर में नौदरा ब्रिज, श्याम टॉकीज, श्रीनाथ की तलैया, मॉडल रोड और ग्वारीघाट क्षेत्र में भी मल्टी लेबल पार्किंग का निर्माण प्रस्तावित है। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण अभी तक न तो डीपीआर तैयार हो सकी है, न ही टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो सकी है।
सिविक सेंटर में बनेगी सबसे बड़ी पार्किंग
सिविक सेंटर में 6.67 करोड़ की लागत से मल्टी लेबल पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है। यह शहर की सबसे बड़ी पार्किंग होगी। यहां एक साथ 93 कारें पार्क हो सकेंगी। यहां 6 लेबल मल्टीग्रिड सिस्टम तैयार किया जाएगा। कार पार्किंग के सामने की ओर दो पहिया वाहनों को पार्क करने के लिए भी पार्किंग का निर्माण किया जाएगा।
शहर के यातायात को व्यवस्थित करने के लिए पजल पार्किंग कॉन्सेप्ट लागू किया गया है। कुछ स्थानों के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू की जा रही है।
– अजय शर्मा, भवन अधिकारी, नगर निगम