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वाइफ एप्रीशिएशन डे : हसबैंड ने बढ़ाया हौसाला… और पूरा किया अपना ख्वाब

locationजबलपुरPublished: Sep 16, 2018 05:46:28 pm

Submitted by:

amaresh singh

महिला का जीवन घर, पति और बच्चों की देखरेख में ही गुजर जाता है

wife Aprition day

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जबलपुर। एक महिला का जीवन घर, पति और बच्चों की देखरेख में ही गुजर जाता है। बहुत सा टैलेंट होने के बाद भी उनकी योग्यताएं सिमट कर रह जाती हैं, लेकिन शहर के लोग इससे इतर भी काम कर रहे हैं। जबलपुर शहर के कपल एक-दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। शहर में ऐसे कई पति हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी को आगे बढ़ाने के लिए हर मोड़ पर एप्रिशिएट किया। उनका एप्रीशिएशन इस कदर रहा कि उनकी पत्नी ने न केवल जबलपुर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शहर को गौरवान्वित किया है। कुछ ने बिजनेस की बागडोर संभाली तो कुछ ने फैशन इंडस्ट्रीज की ओर कदम बढ़ाएं।

हसबैंड ने हाथ में दी बिजनेस की कमान
शादी से पहले घर के बिजनेस में इंवॉल्वमेंट नहीं था। शादी के बाद भी घर संभालने की जिम्मेदारी के कारण अपने टैलेंट का प्रयोग नहीं कर पाई थी। अब होटल की बागडोर संभाल रही हूं। यह केवल हसबैंड संदीप के कारण संभव हुआ है। उन्होंने एक दिन खुद कहा कि तुम्हारा मैनेजमेंट अच्छा है, क्यों न इसका प्रयोग बिजनेस में भी किया जाए। हसबैंड ने छोटे-छोटे काम को एप्रिशिएट करना शुरू किया और अब एक बड़ी जिम्मेदारी उन्होंने दे दी है। संदीप ने हर मोड़ पर एप्रिशिएट करते हैं।
श्वेता विजन

मिसेज इंडिया कॉन्टेस्ट में हसबैंड ने भर दिया था फॉर्म
मुझे मॉडलिंग शो में हिस्सा लेने की दिलचस्पी थी। इंटरनेट पर मिसेज इंडिया सेंट्रल ब्यूटी कॉन्टेस्ट के बारे में देखा था। हसबैंड पुलकित को बताया था, लेकिन फिर बैकफुट पर आ गई कि घर, बेबी और क्लिनिक की जिम्मेदारियों के बीच कैसे हिस्सा बन पाऊंगी। एक दिन मुझे अचानक मैसेज आया कि कॉन्टेस्ट के लिए मेरा रजिस्ट्रेशन हो गया है। फिर पता चला कि पुलकित ने मुझे बिना बताए ही रजिस्ट्रेशन फॉर्म फिल कर दिया। इस कॉन्टेस्ट में विनर बनी और अब लाइफ पूरी तरह बदल गई है। वो हो गया, जो कभी सोचा भी नहीं था।
डॉ. रितिका जैन अग्रवाल

बॉडी पेंटिंग एक्सपर्ट होने के नाते इंटरनेशनल इवेंट में जाने का मौका मिला। अकेल पेरिस होकर आई और टॉप ८ में जगह बनाई। शादी के बाद केवल बॉडी पेंटिंग एक्सपर्ट होने के नाते इंटरनेशनल इवेंट में जाने का मौका मिला। अकेल पेरिस होकर आई और टॉप ८ में जगह बनाई। शादी के बाद केवल साधारण होममेकर थी, लेकिन हसबैंड अभय मेरे शौक के बारे में जानते थे। उन्होंने ही आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। उसशादी के बाद पीजी, बीएड, पीएचडी और फिर शिक्षक के तौर पर काम। यह सब संभव हुआ है पति के सपोर्ट से। शादी जल्दी हो गई थी। काम काज में पूरी लाइफ कट रही थी। हसबैंड आशीष को पता चला कि मैं आगे पढऩा चाहती थीं। उन्होंने मुझे आगे पढऩे के लिए मोटिवेट किया। बीएड में एडमिशन भी करवाया। अब कॉलेज में पढ़ा रही हूं। हसबैंड सीए हैं तो एग्जाम के दिनों में कंपनी लॉ के विषय में उन्होंने मुझे पढ़ाया भी था।
डॉ. मीता आशीष शाह

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