अपने अंदाज में रखी पीड़ा
वैसे तो पूरा जबलपुर गंदगी और मच्छरों की चपेट में है, लेकिन पत्रिका ने जब पश्चिम विधानसभा के अंतर्गत गढ़ा क्षेत्र के लोगों की नब्ज पकड़ी तो उन्होंने अपने अंदाज में पीड़ा व्यक्त की। भूरेलाल कोरी ने कहा कि ‘का बताएं भैया…ऐ बेर खून चूसन वालो ऐसो मच्छर आओ है, जो पहले कबहू नईं देखो…। पूरो मोहल्ला इनसें त्रस्त है, तीन-तीन महिना हो गए, हाथ, गोड़े ऐसे पिरात हैं कि उठत-बैठत तक नईं बन रओ… चलत तक नईं बनें, लेकिन वाह रे इते के नेता… वे अबे तक झूंकवे तक नहीं आए। अब वोट मांगवे आहें तो उनखें हम भी लैबी…।’ दरअसल एक तरह का आक्रोश है, जो भूरेलाल ही नहीं, क्षेत्र के लगभग हर व्यक्ति की जुबान पर है। मच्छर जनित रोग डेंगू, चिकगनुनिया की मार से वे इतने परेशान हो गए हैं कि उनके स्वर आक्रामक हो गए हैं। मतदाताओं का आक्रोश इशारा कर रहा है कि आने वाले चुनाव में यह बड़ा मुद्दा हो सकता है।
किस पर करें भरोसा
गढ़ा क्षेत्र की बस्तियों से आने वाले मार्गों के संगम गौतम जी की मढिय़ा पर एक दुकान के सामने चौपाल लगी है। जैसे ही बीमारी के बारे में पूछा गया राजेश राय गुस्से में बोले- सात साल के बच्चे से लेकर सत्तर साल के बुजुर्ग तक डेंगू, चिकनगुनिया से सब परेशान हैं। मोहल्ले में नालियां गंदगी से भरी पड़ी हैं। नगर निगम की तरफ से किसी प्रकार की कोई दवा का छिडक़ाव नहीं हुआ। तीन महीने हो गए बीमारी से अभी तक कोई राहत नहीं है। जितने जनप्रतिनिधि है कोई भी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। किस पर भरोसा करें, समझ में नहीं आ रहा है। बात चल ही रही थी कि चपरा बस्ती के गोपाल चौधरी ने बोलना शुरू कर दिया। ‘भैया जे ऐसो वायरस आए कि पता नहीं चले कब खून खतम हो गओ। डॉक्टरन के पास मरीज कै लै जाओ तो बोलबे है प्लेटलेट्स नहीं रैये। और आदमी खतम।’ पान दुकान चलाने वाले बंटी कोष्टा कहते हैं कि इतने दिन हो गए। ये बीमारी महामारी बन गई है। लेकिन आज तक न कोई स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी जांच के लिए आया। न कोई जनप्रतिनिधि बीमारों का दर्द पूछने। सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था नहीं है और गरीब लोगों के तो बस में ही नहीं कि वह प्राइवेट अस्पताल में डेंगू का टेस्ट कराकर पूरा इलाज करा लें।
अस्पताल में लंबी कतार
गढ़ा निवासी विजय सेन कहते है मेडिकल अस्पताल और आइसीएमआर सिर्फ कहने के लिए पास में है। मेडिकल में लाइन इतनी लंबी है कि 12 बजे तक नंबर नहीं आता। दर्द इतना है कि लंबी लाइन में लगना मुश्किल है। फिर घड़ी के दोनों कांटे जैसे ही एक के ऊपर एक आएं और डॉक्टर उठकर चलें। सीधा बोल देते है अब प्राइवेट में दिखाओ। कुम्हार मोहल्ला निवासी रामनाथ चक्रवर्ती अपने सूजे हुए पांव दिखाते हुए बोले दो महीने हो गए। गरीब आदमी है जांच कराने के पैसे नहीं है। 10-10 रुपए की दवा की पुडिय़ा लाकर कई बार खा चुके हैं। लेकिन न सूजन उतर रही न जोड़ों का दर्द कम हो रहा है। रोज मजदूरी करके पेट भरते है। सारे पैसे इलाज में चले गए तो बच्चे भूखे मर जाएंगे। गढ़ा के राजेश नायक बोले डेंगू से क्षेत्र में कई लोग मर चुके हैं। इनके आसपास के घरों में लोगों की बुखार से हालत ऐसी है कि वे उठ-बैठ तक नहीं पाते। सरकारी डॉक्टर्स की कोई टीम तो कभी जांच के लिए आयी नहीं। जिनके घरों में मौत हुई उनकी सुध लेने तक कोई जनप्रतिनिधि आया नहीं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि लोगों की यह पीड़ा इस बार चुनावी आंकड़ेबाजों को धरती दिखा सकती है।