अनियमित दिनचर्या, खानपान और कसरत कम होने से कम उम्र के मरीज भी सामने आ रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार कई लोग सेवानिवृत्त होकर या एक आयु के बाद कामकाज से निवृत्त होने पर शरीर के साथ दिमाग को भी आराम देने लगते हैं। यहीं याददाश्त कमजोर होना और एल्जाइमर की शुरुआत होती है। डॉक्टर्स का मानना है कि दिमागी कसरत हमेशा जारी रहनी चाहिए। इससे भूलने या एल्जाइमर जैसी बीमारी को दूर रखा जा सकता है।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एमएस जौहरी के अनुसार एल्जाइमर एक तरह की डिमेंशिया डिसीज है। ये बेहद पुरानी बीमारी है। एक बार बीमारी होने के बाद वह कभी पूरा ठीक नहीं हो पाता। हालांकि सही समय पर जांच और नई दवाओं के माध्यम से रोग को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। एक उम्र के बाद नियमित व्यायाम और दिमाग को सक्रिय रखकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
ऐसे बचाव करें
चिकित्सकों के अनुसार नियमित व्यायाम, पौष्टिक और संतुलित भोजन, आदर्श दिनचर्या अपनाकर काफी हद तक भूलने वाली इस बीमारी से बचा जा सकता है। 60 साल के बाद जब कामकाज से व्यक्ति मुक्त होता है, तो उसके दिमाग को सक्रिय रखना जरूरी है। परिजनों को वृद्धों को ऐसी गतिविधियों में जोडऩा चाहिए, जहां वे सोंचे और दिमागी कसरत होती रही। चेस, लूडो, सुडूकू जैसे खेल और गणित की पहेलियां बुझा सकते हैं। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायराइड और दिल की बीमारी के पीडि़त का उचित जांच और समय पर समय करना चाहिए। कम उम्र में एल्जाइमर के पीडि़तों में नशे की लत भी बड़ी वजह बन रही है। इससे दूर रहना चाहिए।
बीमारी के लक्षण
– पीडि़त को दैनिक कामकाज में परेशानी होने लगती है।
– रोगी के रोजमर्रा के व्यवहार में बहुत तेजी से बदलाव आता है।
– शब्द भूलने लगते हैं, जिससे सामान्य बातचीत में रुकावट आती है।
– अपने घर के आसपास की गलियों, रास्तों को भूल जाते हैं।
– कोई फैसला लेने की क्षमता कम हो जाती है। शक करते हैं।
– चीजें इधर-उधर रखकर भूलने लगते हैं। चिड़चिड़ापन।