यहां के शराब माफियाओं ने लगता है शहर में भी जंगलराज समझ लिया है?

जबलपुर में हद दर्जे की अनदेखी, सरकारी स्कूल के भवन पर कब्जा करके स्टॉक किया हजारों किलो महुआ लाइन
जबलपुर। कोरोना काल में लगता है जबलपुर शहर की कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। अपराधों की बाढ़ के बीच हद तो तब हो गई, जब शहर के शराब माफियाओं ने सरकारी स्कूल के भवन पर ही कब्जा करके शराब बनाने के लिए हजारों किलो महुआ लाहन का स्टॉक कर लिया। पता नहीं किस मुखबिर ने आबकारी विभाग को खबर की, तब पुलिस का होश आया और वहां छापा मारा गया। तब पता चला कि कच्ची शराब के धंधे लिप्त लोगों का दुस्साहस हद से भी ज्यादा बढ़ गया है। आबकारी विभाग की टीम जबलपुर शहर के घमापुर क्षेत्र में सरकारी स्कूल की बिल्डिंग में प्रवेश किया, तो आंखें फटी रह गईं। वहां प्लास्टिक के कंटेनर में 12 हजार किलो महुआ लाहन रखा था। उसे मौके पर नष्ट किया गया।
कंट्रोल रूम प्रभारी जीएल मरावी ने बताया कि घमापुर थाना के तहत कुचबंदिया मोहल्ले में कच्ची शराब बनाने की सूचना मिली थी। सहायक आयुक्त आबकारी एसएन दुबे ने टीम बनाकर जांच कराई गई। घरों की तलाशी ली गई, तो अवैध शराब बनाने में कई लोग संलिप्त मिले। वहां से महुआ लाहन और करीब 35 लीटर कच्ची शराब भी मिली। शासकीय प्राथमिक बालक शाला घमापुर नम्बर एक की इमारत में तलाश की गई, तो भारी मात्रा में महुआ लाहन मिला। कोरोना के कारण स्कूल बंद है। इसका फायदा शराब बनाने वालों ने उठाया। दबिश में जीडी लहरिया, रामजी पांडेय, भारती गौंड, रविशंकर मरावी, गिरजा धुर्वे, रामायण द्विवेदी, नरेंद्र उइके, नेकलाल बागरी, अनिल झरिया शामिल थे। कार्रवाई के दौरान 12 लोगों पर मामाला दर्ज किया गया। जानकारों का कहना है कि शहर में कच्ची शराब बनाने वालों को कई जनप्रतिनिधियों का संरक्षण प्राप्त है। तभी तो सरकारी स्कूल के भवन में महुआ लाहन का स्टॉक करने की हिम्मत उनमें आई। ताज्जुब की बात है कि स्कूल में लाहन का स्टॉक करने वाले एक भी आरोपी को पुलिस पकड़ नहीं पाई।