जस्टिस मेनन को सुप्रीम कोर्ट भेजने की अनुशंसा नहीं, वकीलों ने जताया विरोध
जबलपुरPublished: Jan 19, 2019 01:21:52 am
बार काउंसिल ने दी चेतावनी : सीनियर एडवोकेट काउंसिल ने भी जताई आपत्ति
जबलपुर। मप्र स्टेट बार काउंसिल व सीनियर एडवोकेट काउंसिल ने जबलपुर निवासी व दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन को सुप्रीम कोर्ट का जज नहीं बनाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दोनों संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति के सम्बंध में लिए गए फैसले पर प्रश्नचिन्ह लगाए। बार काउंसिल सदस्यों ने चेताया कि जस्टिस मेनन की उपेक्षा की गई, तो वकील हड़ताल पर जा सकते हैं।
सीनियर वकीलों की भी आपत्ति
वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे ने बताया कि इस सम्बंध में 16 जनवरी को आपत्ति पेश की गई थी। इस पर आहूत सीनियर एडवोकेट्स काउंसिल की आमसभा की बैठक में भी प्रस्ताव पारित किया गया। बार काउंसिल अध्यक्ष शिवेंद्र उपाध्याय ने भी राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। सदस्य राधेलाल गुप्ता व आरके सिंह सैनी ने कहा कि बार काउंसिल इस विषय को लेकर गम्भीर है।
यह है वकीलों की आपत्ति
12 दिसम्बर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग को सुप्रीम कोर्ट भेजने का निर्णय किया था। काउंसिल सदस्यों के अनुसार 10 जनवरी 2019 को दूसरी मीटिंग में कॉलेजियम ने अपने ही पूर्व निर्णय को अकारण निरस्त कर दो अन्य हाईकोर्ट के सीजे को सुप्रीम कोर्ट भेजने का अनुमोदन कर दिया। जबकि, केंद्र सरकार की सलाह पर दिल्ली हाईकोर्ट में किसी अनुभवी मुख्य न्यायाधीश की आवश्यकता अनुभव करने के बाद पटना हाईकोर्ट से जस्टिस मेनन को लाया गया था। वकीलों का कहना है कि योग्यता, वरिष्ठता और अनुभव के लिहाज से जस्टिस मेनन सुप्रीम कोर्ट जज के पूर्णत: योग्य हैं।
हाईकोर्ट बार की सामान्य सभा सोमवार को
मप्र हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदर्शमुनि त्रिवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की इस अनुशंसा के जरिए जस्टिस मेनन सहित 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता का उल्लंघन हुआ है। इसके विरोध में नीति निर्धारण के लिए 21 जनवरी को दोपहर 1.30 बजे सिल्वर जुबली हॉल में एसोसिएशन की सामान्य सभा बुलाई गई है। इसमें अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से विरत रहने का फैसला लिया जा सकता है।