सुप्रीम कोर्ट ने दिसम्बर 2018 में निपुण सक्सेना विरुद्ध केंद्र सरकार के मामले में दिए आदेश में लैंगिक उत्पीडऩ की शिकार महिलाओं को अदालत में होने वाली परेशानियों पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को ऐसे मामलों में कोर्ट परिसर में दिक्कत व तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। उनकी गोपनीयता भी भंग होने का खतरा रहता है। इन सबको देखते हुए सुको ने हर राज्य को प्रत्येक जिले में ‘वन स्टॉप सेंटरÓ खोलने के निर्देश दिए।
विक्टिम फ्रेंडली वन स्टॉप सेंटर कोर्ट परिसर से अलग, लेकिन नजदीक ही बनाए जाएंगे, ताकि वकीलों को असुविधा न हो। इसे सेंट्रल पुलिस स्टेशन की तरह उपयोग में लाया जाएगा। पुलिस अधिकारियों को पीडि़त महिलाएं, बच्चे सीधे अपनी एफआइआर दर्ज करा सकेंगे। सेंटर में ही कोर्ट रूम की व्यवस्था होगी। वहां पीडि़तों के मामलों की सुनवाई होगी। बयान दर्ज कराने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की भी सुविधा होगी। इससे पीडि़त को कभी कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी।
सेंटर्स में मेडिकल सुविधाएं व चिकित्सक भी होंगे। जरूरत पर पीडि़त की तत्काल प्राथमिक चिकित्सा से लेकर मेडिकल जांच तक का काम होगा। जरूरत पर काउंसलर व मनोचिकित्सकों की सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
सेंटर्स में सुप्रशिक्षित स्टाफ तैनात किया जाएगा। स्टाफ को लैंगिक उत्पीडऩ की शिकार, महिलाओं, बच्चियों से संवेदनापूर्वक बातचीत व व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जाएगा।