जिला सूचना एवं विज्ञान केन्द्र ने वेबसाइट में जबलपुर के खास व्यंजनों में पोहा-जलेबी और खोया की जलेबी को शामिल किया है। शहर में पोहा हर गली और मोहल्लों में मिलता है। कुछ स्थान तो ऐसे हैं जहां पर रात में भी इनका स्वाद लेने के लिए लोग आते हैं। पोहा में मूंगफली, प्याज और सेव मिलाकर जो स्वाद दुकानदार बनाते हैं, शायद वह कहीं नहीं मिलता। घरों में बच्चों से लेकर बड़ों तक की सुबह नाश्ते में पोहा की मांग रहती है। इसलिए इसकी भारी खपत होती है। शक्कर व मैदा से बनी जलेबी भी हर होटल के प्रमुख व्यंजन में शामिल है।
कई जगहों से आता है पोहा
थोक किराना कारोबारी भीमलाल गुप्ता का कहना था कि जिले में पोहा की खपत बहुत अधिक है। इसलिए बालाघाट, वारासिवनी और भाटापारा के अलावा दूसरी जगहों से माल मंगाया जाता है। मिष्ठान विक्रेता संघ के अध्यक्ष हेमराज अग्रवाल के अनुसार प्रमुख मिष्ठान प्रतिष्ठान हों या छोटी होटलें हजारों किलो मैदा और खोवा की जलेबी बनती हैं। जलेबी विक्रेता दिनेश जाट का कहना था कि पोहा और जलेबी का नाश्ता लोग बहुत पसंद करते हैं।
क्या है स्थिति
वस्तु आवक/खपत
पोहा 18 से 22 टन
मैदा जलेबी 1.50 से 2.00 टन
खोवा जलेबी 1.00 से 1.50 टन
जिले का मानचित्र और पर्यटन स्थल
जिला सूचना विज्ञान अधिकारी आशीष शुक्ला ने बताया कि नई वेबसाइट को जनोपयोगी बनाने के लिए जिले की हर छोटी से छोटी जानकारी समाहित की गई है। इसमें जिले का मानचित्र शामिल किया गया है। प्रत्येक क्षेत्र का पिनकोड हो या फिर अधिकारियों के मोबाइल नम्बर और उनका ईमेल एडे्रस सभी को समाहित किया गया है।
यह जानकारियां भी
– जिले के प्रमुख पयर्टन स्थल।
– बड़े बैंक व अस्पतालों के नाम।
– स्कूल और कॉलेज और नगर निगम।
– प्रमुख एवं लोकप्रिय व्यंजन।
– प्रमुख फसलों का उत्पादन।
– प्रमुख त्योहारों की जानकारी।
दृष्टिबाधितों के लिए सुविधा
इस वेबसाइट की डिजाइन ऐसी की गई है कि दृष्टिबाधित भी इसका उपयोग कर सकें। इसमें इस तरह का साफ्टवेयर डाला गया है कि दृष्टिबाधित निर्धारित जगह पर क्लिक करेंगे तो उससे संबंधित जानकारी उन्हें सुनाई देगी। इसके लिए वह एक डिवाइज का इस्तेमाल करेंगे।