पत्थर की प्रतिमाएं
दमोहनाका, शास्त्री नगर, घमापुर, शीतला माई वार्ड, सदर एवं अधारताल क्षेत्र में कई स्थानों पर प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। शीतला माई वार्ड के मूर्तिकार धर्मेंद्र ने बताया, इस बार ईको फ्रेंडली मूर्तियों की मांग ज्यादा रही। इसमें अजंता शैली की प्रतिमाएं हैं जो मिट्टी और कच्चे रंग से बनेगी। इसमें गहनों से श्रृंगार होगा। ऐसा प्रतीत होगा कि पत्थरों को काटकर मूर्ति बनाई गई हैं। वहीं मूर्तिकार मनोज ने बताया, चुनाव आचार संहिता के कारण बड़ी प्रतिमाएं रखने वाली कई समितियों ने साधारण प्रतिमाएं बनवायी हैं।
ऐसे हैं दुर्गोत्सव पंडाल
नव मित्र मिलन दुर्गोत्सव समिति, सदर ने भगवती व भक्तों के लिए एयरकंडीशन पंडाल बनाया है। कलकत्ता के दुर्गा मंदिर के रूप में पंडाल सजाया गया है। राजू राय ने बताया, रामूजी फिल्म सिटी हैदराबाद की तर्ज पर फाइबर से कार्य किए जा रहे हैं। बंगाली पैटर्न की प्रतिमा स्थापित की जाएंगी।
रामायण दर्शन
नव ज्योति दुर्गोत्सव समिति, सेठ निहाल चंद काम्प्लेक्स गोरखपुर में इस बार रामायण दर्शन होगा। लकड़ी और बांस के भगवा रंग के पंडाल में देवी दुर्गा श्री राम दरबार की ओर देखते नजर आएंगी। कपड़े के परदे पर पेंटिंग्स में रामायण के दृश्य हैं तो ढाई फुट ऊंचाई की 180 प्रतिमाओं से रामायण दर्शन होगा।
वसई का किला
गोंडवाना दुर्गोत्सव समिति गढ़ा में मुम्बई के वसई के किला के रूप में पंडाल बनाया गया है। संयोजक दीनदयाल द्विवेदी ने बताया, ब्रिटिश कालीन किला को भारतीय शैली में डिजाइन किया गया है। पुरातात्विक मूर्ति बनाई गई है। बाहर के पंडाल में भी पत्थरों की डिजाइन दिखेगी।
कोलकाता का राम मंदिर
बाल दुर्गोत्सव समिति सिविल लाइंस में इस बार कोलकाता के राम मंदिर के रूप में पंडाल बनाया गया है। भगवान शिव को जलाभिषेक और श्रीराम दरबार का भ्रमण करने के बाद श्रद्धालु भगवती का दर्शन करेंगे। लकड़ी और कपड़े से भगवा रंग के मंदिर के अनुसार लाइटिंग की जा रही है।