जबलपुरPublished: Mar 07, 2019 01:16:13 am
Sanjay Umrey
साकेतधाम से निकाली नर्मदा पंचकोसी परिक्रमा
narmada yatra
जबलपुर। ग्वारीघाट स्थित साकेतधाम में आयाजित रामेश्वरम् के पाटोत्सव में बुधवार को महादेव के अभिषेक के बाद संतों के सान्निध्य में नर्मदा पंचकोसी परिक्रमा निकाली गई। परिक्रमा ग्वारीघाट गुरुद्वारा के तट से शुरू हुई। तिलवारा स्थित रुद्राक्ष चैरिटेबल भवन में हुई धर्मसभा में स्वामी गिरीशानंद सरस्वती ने प्रशासन को चेताते हुए कहा, मां नर्मदा की अविरल धारा के लिए बरगी बांध के एक गेट से निरंतर जल प्रवाह होना चाहिए। नर्मदा में प्रदूषित नालों का पानी सीधे नर्मदा में नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, नर्मदा में बनने वाले पक्के पुलों का संत समाज विरोध करेगा। लक्ष्मण झूला बनना ही प्राकृतिक रूप से उचित है। स्वामी मुक्तानंद ने कहा, नदी के तीन रूप अध्यात्मिक, आदिभौतिक, व आदिदैविक स्वरूप हैं। भौतिक रूप से जल के रूप में नदी विराजमान है।
परिक्रमा में स्वामी रामदेवानंद सरस्वती, स्वामी बालकदास, स्वामी जगदीशपुरी, स्वामी मनोहरपुरी, डॉ. राजीव लोचन त्रिपाठी, रोहित दुबे, ओंकार दुबे, शीला रबिन झुनझुनवाला शामिल हुए।
संकीर्तन करने वाले बुजुर्गों का सम्मान
इधर नर्मदा पंचकोसी परिक्रमा समिति के तत्वावधान में बुधवार को राइट टाउन स्थित जमुना सभागृह में 60 वर्ष उम्र के संकीर्तन करने वाले सदस्यों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में स्वामी श्यामदेवाचार्य ने कहा, संकीर्तन से स्वयं का जीवन सफल होता है और धर्म का प्रचार होता है। सम्मान समारोह में पुरुषोत्तम पैठकर, रामू लाल कुदरिया, चंद्र प्रकाश श्रीवास्तव, रमेश सेठ, विष्णु सोनी, खुशहाल चंद्र राव, उमाशंकर धनोप्या, विकास नामदेव, रमेश विश्नोई, सेवाराम दाहिया, रमेश प्रसाद रजक, रामशरण साहू, निरंजन राज, डॉ. नरेंद्र सोनी, मदन मोहन शकरबाएं को शॉल श्रीफल अर्पित किया। संत राजारामाचार्य, स्वामी बालकदास, किन्नर गुरु हीरा, स्वामी रामचंद्र दास, मनमोहन दुबे, देवेंद्र त्रिपाठी ने सम्मान प्रदान किया। इस मौके पर संरक्षक डॉ. सुधीर अग्रवाल, अध्यक्ष डॉ. शिव शंकर पटेल, संतोष अग्रहरि व सत्यप्रकाश सराफ मौजूद थे।