बेड़ों के साथ गश्त
रात में शहरभर से सवारियां कोतवाली थाने पहुंची। जहां अकीदतमंदों ने इमाम हुसैन को याद किया। छोटा फुहारा से लेकर बड़ा फुहारा मार्ग अकीदमंदों से खचाखच भरा रहा। इधर मंडी मदार टेकरी में भी काफी संख्या में लोग थे। सवारियां ढोल और ताशों के साथ मदार छल्ला पहुंची। जहां से सलामी के बाद वे कोतवाली पहुंची।
तकसीम कराया लंगर
मोहर्रम की नवीं तारीख हजरत इमाम हुसैन की आखिरी रात थी। मोहर्रम की दसवीं तारीख को वे शहीद हो गए थे। इस दौरान शहादत की रात में निकले अकीदतमंदों के लिए लंगर कमेटियों ने जगह-जगह लंगरों का एहतेमाम किया, जहां अकीदतमंदों को लंगर तकसीम कराया गया।
आयोजित किए गए अलाव
शहर में कई स्थानों पर अलाव भी भरे गए। जहां इमाम हुसैन को याद करते हुए दहकते अंगारों पर बाबाओं ने सवारियों और बेड़े के साथ गश्त की। अलाव स्थलों पर देर रात तक अकीदमंदों का हुजुम लगा रहा। यहां या हुसैन के नारे गूंजते रहे।
आज कर्बला पहुंचेंगी सवारियां
मुहर्रम की दसवीं तारीख पर शुक्रवार को सवारियां और ताजिये जुलूस की शक्ल में कर्बला पहुंचेंगे। दोपहर बाद यह जुलूस शुरू होगा। सदर समेत कई इलाकों की सवारियां गश्त करती हुई कोतवाली, फुहारा, बल्देवबाग होते हुए रानीताल कर्बला पहुंचेंगी। गढ़ा का जुलूस पुरवा से शुरू होकर सूपाताल कर्बला में सम्पन्न होगा। वहीं सिया समाज का मातमी जुलूस सुबह साढ़े 8 बजे गलगला स्थित इमामबाड़े से शुरू होगा, दोपहर डेढ़ बजे रानीताल कर्बला में समाप्त होगा।