आसान नहीं है राह
जबलपुर जिले में भाजपा के पांच प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही उनके पानी की गहराई आंकने का क्रम भी शुरू हो गया है। चुनावी गणित के माहिर पंडितों का मानना है कि इस बार भाजपा की राह आसान नहीं होगी। यदि बरगी, सिहोरा, पनागर और केंट में कांग्रेस ने यदि कोई मिलनसार चेहरे वाला पांसा फेंक दिया तो राह मुश्किल हो जाएगी। कारण यह भी माना जा रहा है कि एट्रोसिटी एक्ट और उसके बाद हुई बयानबाजी की वजह से एक वर्ग अब भी भाजपा से नाखुश है। दूसरी ओर मतदाता इस बार ज्यादा मुखर नजर आ रहा है। वह योग्य और स्वच्छ छवि के उम्मीदवार को ही चुनने की प्रतिबद्धता जता रहा है। योग्यता का आकलन जनता ने कर रखा है। यदि कांग्रेस ने कोई वजनदार पांसा चल दिया तो परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
यहां क्यों फंसा पेंच
शहर में सबसे अधिक चर्चा सूबे के राज्यमंत्री यानी शरद जैन के उत्तर-मध्य विधानसभा व पश्चिम विधानसभा क्षेत्र की है। चर्चा है कि मंत्रीजी से भाजपा का ही एक बड़ा वर्ग नाखुश है। इसकी सुगबुगाहट तीन माह पहले से ही भाजपा के पूर्व नगर निगम एमआईसी सदस्यों व पार्षदों की गोपनीय बैठकों के साथ शुरू हो गई थी। चर्चा तो यहां तो यहां तक है कि स्वास्थ्य राज्यमंत्री के स्वास्थ्य का हवाला देकर भी विरोधी धड़ा उनका टिकट कटवाने के मूड में है। हालांकि यह बात तय है कि एक वर्ग विशेष में राज्यमंत्री शरद जैन की गहरी पकड़ है। यह वर्ग उनकी सहजता और मिलनसारिता का कायल है। वक्त ही बताएगा कि विरोधी धड़े की चाल सफल हुई या फिर मंत्रीजी की अपनी पकड़ काम पर आई। इसी तरह पश्चिम में पूर्व मंत्री व विधायक बब्बू को लेकर भी हू-ब-हू यही स्थिति है। यहां भाजपा से ही दो दिग्गज दावेदारों ने बब्बू की राह कठिन कर दी है। पाटन में भी द्वंद है। जानकारों का मानना है कि वर्ग विशेष की नाराजगी को देखते हुए भाजपा यहां ब्राम्हण कार्ड खेलने के मूड में है, शायद यही कारण है कि पाटन की टिकट पर भी अभी पेंच फंसा हुआ है।
इनकी मन गई दीवाली
टिकट को लेकर इस बार जैसा माहौल था, उसे देखकर लोग यह मान रहे थे कि कई दिग्गजों को इस बार मैदान से बाहर किया जा सकता है। इसकी बेचैनी वर्तमान विधायकों यानी इन प्रबल दावेदारों के चेहरे पर भी देखी जा रही थी। शुक्रवार को टिकट की घोषणा के साथ ही उनके चेहरे की लाली वापस लौट गई। घरों व कार्यालयों में समर्थकों का जमघट लग गया और शुक्रवार को ही इनकी दीवाली मन गई।
इधर अभी सन्नाटा
टिकट की जद्दोजहद के बीच कांग्रेस में फिलहाल सन्नाटा है। अधिकांश दावेदार दिल्ली के दरबार में डेरा डाले हुए हैं। हालांकि जानकारों का मानना है कि कांग्रेस भी दोनों विधायकों पर एक फिर से दांव खेल सकती है। पाटन से नीलेश अवस्वी और पश्चिम से तरुण भानोत की साथ पूर्व विधानसभा क्षेत्र से लखन घनघोरिया को एक बार फिर मौका दिया जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का तो यहां तक मानना है कि पूर्व छोड़ दें तो इन दो विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जो विरोधी को टक्कर दे सके। हालंाकि यहां भी दावेदारों की कमी नहीं है। इसी गुणाभाग में कांग्रेस की टिकट की घोषणा अभी लटकी हुई है। संभवत: रात तक कुछ कांग्रेसी नेताओं के दरबार में भी दीवाली का नजारा देखने को मिल सकता है।