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जबलपुर

लम्हेटाघाट में निखरता है नर्मदा का सौंदर्य, यहीं मिले थे डायनासौर के जीवाश्म

ऐतिहासिक-पौराणिक मंदिरों से सम्पन्न क्षेत्र: नर्मदा भक्तों का बढ़ रहा आकर्षण

जबलपुरFeb 12, 2023 / 06:44 pm

Sanjay Umrey

ऐतिहासिक-पौराणिक मंदिरों से सम्पन्न क्षेत्र: नर्मदा भक्तों का बढ़ रहा आकर्षण

ऐतिहासिक-पौराणिक मंदिरों से सम्पन्न क्षेत्र: नर्मदा भक्तों का बढ़ रहा आकर्षण

जबलपुर। संस्कारधानी में नर्मदा तिलवाराघाट से आगे दो किलोमीटर पर लम्हेटाघाट पहुंचती है। यहां सौंदर्य की नर्मदा का स्वरूप विशाल व सौंदर्य अद्भुत और दर्शनीय हो जाता है। कलकल बहती जलधारा के बीच यहां अद्भुत शांति है।
लम्हेटाघाट के आसपास शिव और कृष्ण के ऐतिहासिक मंदिर हैं। आश्रम भी हैं जहां नर्मदा परिक्रमा करने वाले ठहरते हैं। इसी क्षेत्र में कुछ समय पहले डायनासोर के अवशेष पाए गए थे। लम्हेटाघाट का धार्मिक तथा पौराणिक महत्व तो है ही साथ ही यहां ऐसे पत्थर पाए जाते हैं जिनमें रचनात्मक गुण मौजूद हैं। भूगर्भ शास्त्र के शोध छात्रों के लिए शोध की ²ष्टि से यह स्थल बेहद महत्वपूर्ण है। यूनेस्को की ओर से इसे जीओ हेरिटेज साइट के रूप में मान्यता मिलने के बाद पर्यटकों का लम्हेटाघाट की ओर आकर्षण बढ़ गया है। यहां पर हर दिन यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।
ऐरावत हाथी के पद चिह्न हैं
पुरोहित जनार्दन शुक्ला ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार देवराज इंद्र पूर्वजों की आत्मा को शांति, मोक्ष प्रदान करने के लिए लम्हेटाघाट स्थित गया कुंड आए थे। जिसका प्रमाण गया कुंड के पास देवराज इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी के पद चिह्न के रूप में है। पुराणों के अनुसार पृथ्वी के प्रथम राजा मनु ने भी यहां पर अपने पितरों का श्राद्ध किया था।
त्रिशूलभेद कहलाता है नागक्षेत्र
लम्हेटाघाट के समीप दक्षिण तट त्रिशूलभेद नागक्षेत्र भी कहलाता है। पं. शुक्ला के अनुसार त्रिशूलभेद के महत्व का उल्लेख नर्मदा पुराण में है।
कुम्भेश्वर तीर्थ में कटते हैं संकट
लम्हेटाघाट में महादेव शिव का प्राचीन मंदिर कुम्भेश्वर तीर्थ भी मौजूद है। मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, लक्ष्मण व हनुमान ने ब्रह्म हत्या व शिव दोष से मुक्ति के लिए 24 वर्ष तक तपस्या व उपासना की थी। इसके प्रमाण स्वरूप यहां का कुम्भेश्वर तीर्थ मंदिर है, जिसमें एक जिलहरी पर दो शिवङ्क्षलग स्थापित हैं।
दक्षिणी तट पर प्राचीन शनि मंदिर
नर्मदा नदी के लम्हेटाघाट में दक्षिणी तट पर काफी पुराना शनि मंदिर है। लोग दूर-दूर से मनोकामनाओं को लेकर पहुंचते हैं।
वर्ष 1928 में मिले थे जीवाश्म
भूगर्भ शास्त्र की ²ष्टि से जबलपुर देश का महत्वपूर्ण स्थान है। लम्हेटाघाट 5000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। जिसे लम्हेटा फॉर्मेशन के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1928 में पहली बार विलियम स्लीमन ने यहां से डायनासोर का जीवाश्म एकत्रित किया था।
एक हजार वर्ष पुराना लक्ष्मीनारायण मंदिर
लम्हेटाघाट के समीप गोपालपुर स्थित एकादशी देवी का मंदिर एक हजार साल पुराना है। इसे लक्ष्मीनारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है। जानकारों के अनुसार देश पहला मंदिर है जहां एकादशी देवी की प्रतिमा है। मंदिर के परिसर में पहुंचते ही अजीब सा सम्मोहन का आभास होता है, जो आत्मिक सुकून का आभास कराता है। मंदिर के प्रमुख पुजारी आरके प्यासी ने बताया कि यह मंदिर नौ शिखरों वाला नौचक्रसाधन युक्त मंदिर है। चारों ओर एक-एक कोणों पर एक-एक मंदिर है। बीच में मुख्य मंदिर है।

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