गौरतलब है कि वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती एवं सेवा की शर्तें) नियम, 1994 के नियम 7 में संशोधन किया गया। इस संशोधन के माध्यम से, सिविल जज, जूनियर डिवीजन (प्रवेश स्तर) के पद के लिए एक अतिरिक्त पात्रता योग्यता शुरू की गई थी।
इसके तहत आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि तक कम से कम तीन साल तक वकील के रूप में अभ्यर्थी ने तीन साल किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस की हो और एलएलबी में 70 प्रतिशत अंक अर्जित किए हों, आवेदन करने के लिए पात्र होगा। इसे पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
हाई कोर्ट ने कहा था, जज बनना केवल सपना नहीं होना चाहिए
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में इस संशोधन को रद्द करने की मांग की। तर्क दिया कियह अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) सहित संविधान के कई अनुच्छेदों के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। हाईकोर्ट का विचार था कि संशोधन का उद्देश्य ‘न्याय का गुणात्मक वितरण’ व ‘उत्कृष्टता को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह निर्णयों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए जाता है, जो बदले में बड़े पैमाने पर वादियों को प्रभावित करता है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि जज बनना किसी का सिर्फ सपना नहीं हो सकता। न्यायपालिका में शामिल होने के लिए व्यक्ति के पास उच्चतम मानक होने चाहिए।