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बारिश में भीगी किसानों की मेहनत
खुद के इंतजामों से गेहूं को बचाने की कवायद
बेमौसम बारिश का असर
उपज को बचाने तिरपाल और पन्नी का सहारा
जिम्मेदारों की लापरवाही से अन्नदाता परेशान
मंगलवार रात से अचानक बदले मौसम के बाद बारिश का क्रम शुरू हो गया। बारिश के चलते समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीदी केंद्रों में अपनी उपाधि लेकर बड़े किसानों की उपज बारिश में भीग गई। सबसे ज्यादा खराब स्थिति लीड सेवा सहकारी समिति से हो रहा के तिरुपति वेयरहाउस के बने प्रांगण की थी यह किसानों की रखी करीब दो दर्जन किसान की पांच क्विंटल गेहूं की उपज बारिश में गीली हो गई। किसान अशोक पटेल और सुरेंद्र यादव ने बताया कि वह सुबह से उपज को बचाने के लिए त्रिपाल तो ढांक रहे हैं लेकिन तेज बारिश के कारण अप आज बारिश में गीली हो गई। वेयरहाउस में बना प्रांगण खेत में है। यहां काली मिट्टी के कारण किसानों को अपनी उपज को बारिश से बचाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।
तिरपाल ढकने के बावजूद किनारों से पानी उपज तक पहुंच गया है। कुछ ऐसी ही स्थिति मझौली तहसील के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति बरगी खरीदी केंद्र की थी यहां भी किसानों की उपज बारिश में भीग गई थी किसान पन्नी और दूसरे संसाधनों से अपनी उपज को बारिश से भीगने से बचाने की कोशिशों में लगे हुए।
बाकी 10 केंद्रों के भी यही हाल : समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीदी के लिए सिहोरा और मझोली तहसील में 22 केंद्र बनाए गए थे। जिसमें से सिर्फ 5 केंद्रों में खरीदी का काम शुरू हो पाया था। बाकी केंद्रों में किसान अपनी उपज लेकर करीब एक सप्ताह से खरीदी के इंतजार में पड़े थे। रात में हुई बारिश के कारण यहां भी किसानों की उपज बारिश में भीग गई है।
अधिकारियों की लापरवाही से बनी है ऐसी स्थिति
किसान राम गोपाल पटेल, छोटे पटेल, सुशील पटेल, छत्र सिंह ठाकुर, नरेंद्र त्रिपाठी, शंभू पटेल ने आरोप लगाया की खरीदी एजेंसी विपणन संघ और उसके जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण आज किसानों की उपज खरीदी केंद्रों में गीली हो गई है। समितियों में बारिश से उपज को बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। किसान खुद की व्यवस्था से अपनी मेहनत और खून पसीने से उगाई फसल को बचाने की कोशिश में लगा हुआ है।