मंडला रोड, जबलपुर निवासी अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने याचिका में कहा कि टेलीफोन कनेक्शन और बैंक अकाउंट खुलवाने सहित अन्य सुविधाओं के लिए केवायसी आइडी प्रूफ जमा कराने का प्रावधान है। ताकि किसी तरह की गड़बड़ी होने पर यूजर के खिलाफ ठोस कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। इसी तरह की व्यवस्था फेसबुक-वॉट्सऐप आदि सोशल साइट्स के यूजर्स पर भी लागू होनी चाहिए। इससे इन सोशल साइट्स के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा सहित अन्य तरह के संवेदनशील मसलों पर गड़बड़ी करने वालों की शिनाख्त आसान हो सके।
वॉट्सऐप बना न्यूसेंस का औजार
याचिकाकर्ता ने स्वयं अपना पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि फेसबुक-वॉट्सऐप आदि पर फर्जी अकाउंट्स की भरमार है। फर्जी इ-मेल आइडी भी बड़ी संख्या में हैं। इनके जरिए अनुचित कार्यों को अंजाम दिया जाता है। वॉट्सऐप के जरिए जनभावनाओं को भड़काने वाली पोस्ट खूब प्रसारित की जा रही हैं। यह न्यूसेंस का हथियार जैसा बन गया है। उन्होंने राय दी कि 50 से अधिक सदस्यों वाले ग्रुप्स में पुलिस से सम्बंधित एक सदस्य अनिवार्य होना चाहिए। इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि सोशल मीडिया को कंट्रोल करने के सम्बंध में कोई गाइडलाइन हो तो बताएं। एडवोकेट गुप्ता ने कोर्ट को जानकारी दी कि फिलहाल सरकारी महकमो के लिए गाइडलाइन है। लेकिन वह आम यूजर्स पर लागू नहीं है। इस पर कोर्ट ने उक्त गाइडलाइन पेश करने का निर्देश दिया।