जेल सूत्रों के मुताबिक कैदियों को इस बात पर आपत्ति थी कि बाहर से सामान नहीं आने दिया जा रहा था। इसके अलावा उन्हें जेल के अंदर जो सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही थी, वो भी मानक के अनुसार नहीं था। भोजन की गुणवत्ता जहां काफी खराब थी। वहीं कपड़े धोने के लिए जो साबुन उपलब्ध कराया जा रहा है, वह खराब है। बीमार बंदियों को भी जेल के डॉक्टर द्वारा भर्ती नहीं किया जाता है। फोन पर घरवालों से बात करायी जाती है, तो स्पीकर इतना तेज कर दिया जाता है कि दूसरे कैदी भी सुन सके। पिछले तीन दिनों से इन सभी मुद्दों को लेकर बंदियों ने भूख हड़ताल कर दी।
प्रदर्शन बेकाबू तब हरकत में प्रशासन
सोमवार को बंदियों का प्रदर्शन बेकाबू हो गया। जेल सूत्रों के अनुसार कैदियों ने अंदर जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार और उपअधीक्षक रामकृष्ण चौरे का पुतला बनाकर चप्पल से पीटा और प्रदर्शन किया। बंदियों के प्रदर्शन और भूख हड़ताल की खबर भोपाल तक पहुंची। इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया।
कलेक्टर के निर्देश पर एडीएम डॉ. राहुल फटिंग, एएसपी संजीव उईके, सीएसपी ओमती शशिकांत जेल पहुंचे। वहां बंदियों से बात की। समझाइश के बाद और व्यवस्थाओं को ठीक कराने का आश्वासन दिया। तब जाकर बंदी भोजन के लिए तैयार हुए। गोपाल ताम्रकार इसके पूर्व भी सेंट्रल जेल में रह चुके हैं। वर्ष 2011 में तब जेल के अंदर हुए विवाद के बाद कलेक्टर की शिकायत पर तबादला किया गया था। जबलपुर में फिर से नियुक्ति पर भी रोक थी।
भोजन की मात्रा व गुणवत्ता सहित, साबुन आदि को लेकर बंदियों की शिकायत थी। मेल-मिलाप के दौरान फोन पर करायी जाने वाली बातचीत के दौरान मोबाइल का स्पीकर ऑन करने और इलाज में भेदभाव की शिकायत थी। अब सब कुछ ठीक है।
– अमित सिंह, एसपी
नौ दिसम्बर 2016 से जेल में बाहर का सामान ले जाना बंद कर दिया गया है। चुनाव के चलते वारंटी सहित अन्य लोगों की धरपकड़ हो रही है। वे जेल में पहुंच कर पुराने नियमों की दुहाई देकर प्रदर्शन कर रहे थे। अब सब कुछ सामान्य है। उनकी भूख हड़ताल समाप्त हो चुकी है।
– गोपाल ताम्रकार, जेल अधीक्षक
निर्वाचन प्रक्रिया को देखते हुए कई वारंटी वहां बंद हो रहे हैं। वे अनावश्यक रूप से वहां व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। शिकायत पर व्यवस्थाओं की जांच करने एडीएम को भेजा था। यदि उनका रवैया आगे भी नहीं बदला तो दूसरी जेलों में शिफ्ट कर दिए जाएंगे।
– छवि भारद्वाज, कलेक्टर