यह है मामला
रीवा में पब्लिक ऑडिट कार्यालय में एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत महेंद्र कुमार तिवारी ने याचिका दायर कर कहा कि 30 जुलाई 2019 को उसका तबादला रीवा में ही ऑडिट ऑफिस के तहत कर दिया। तर्क दिया गया कि उसे रीढ़ की हड्डी की समस्या है। इसके चलते उसे यात्राएं करने में दिक्कत होती है। जबकि, नए कार्यालय में उसका जॉब टूरिंग है। इसलिए वह अपने नए कार्यालय में ज्वॉइन करने में असमर्थ है। लिहाजा उसका तबादला निरस्त किया जाए।
रीवा में पब्लिक ऑडिट कार्यालय में एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत महेंद्र कुमार तिवारी ने याचिका दायर कर कहा कि 30 जुलाई 2019 को उसका तबादला रीवा में ही ऑडिट ऑफिस के तहत कर दिया। तर्क दिया गया कि उसे रीढ़ की हड्डी की समस्या है। इसके चलते उसे यात्राएं करने में दिक्कत होती है। जबकि, नए कार्यालय में उसका जॉब टूरिंग है। इसलिए वह अपने नए कार्यालय में ज्वॉइन करने में असमर्थ है। लिहाजा उसका तबादला निरस्त किया जाए।
मेडिकल साक्ष्य भी नहीं
अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी शारीरिक समस्या के सम्बंध में मेडिकल प्रमाण नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि ‘तबादला शासकीय सेवा के दौरान होने वाली सामान्य घटना है। तबादला आदेश में हस्तक्षेप वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन, अक्षम अधिकारी की ओर से दिए जाने या कर्मी क ी सेवा शर्तों में परिवर्तनकारी होने पर ही किया जा सकता है। निजी असुविधा तबादले में हस्तक्षेप के लिए आधार नहीं।Ó कोर्ट ने कहा कि याचिका स्पष्ट रूप से परिहार्य है। खारिज कर याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपए कॉस्ट लगा दी।
अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी शारीरिक समस्या के सम्बंध में मेडिकल प्रमाण नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि ‘तबादला शासकीय सेवा के दौरान होने वाली सामान्य घटना है। तबादला आदेश में हस्तक्षेप वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन, अक्षम अधिकारी की ओर से दिए जाने या कर्मी क ी सेवा शर्तों में परिवर्तनकारी होने पर ही किया जा सकता है। निजी असुविधा तबादले में हस्तक्षेप के लिए आधार नहीं।Ó कोर्ट ने कहा कि याचिका स्पष्ट रूप से परिहार्य है। खारिज कर याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपए कॉस्ट लगा दी।
समाजहित के आदेश
बीते दिनों मप्र हाईकोर्ट ने इस तरह के कई फैसले दिए, जिनमें समाज, देश, पर्यावरण के प्रति कोर्ट की चिंता साफ झलकी। पति-पत्नी के विवाद में याचिका दायर कर वापस लेने पर कोर्ट ने एक दम्पती को दिन भर बाल सुधार गृह जबलपुर में बच्चों की सेवा करने का निर्देश दिय। एक अवमानना याचिका में दोषी पाए जाने पर पीएचई ग्वालियर रीजन के चीफ इंजीनियर को दो सौ पेड़ लगाकर उनकी परवरिश करने का निर्देश दिया।
बीते दिनों मप्र हाईकोर्ट ने इस तरह के कई फैसले दिए, जिनमें समाज, देश, पर्यावरण के प्रति कोर्ट की चिंता साफ झलकी। पति-पत्नी के विवाद में याचिका दायर कर वापस लेने पर कोर्ट ने एक दम्पती को दिन भर बाल सुधार गृह जबलपुर में बच्चों की सेवा करने का निर्देश दिय। एक अवमानना याचिका में दोषी पाए जाने पर पीएचई ग्वालियर रीजन के चीफ इंजीनियर को दो सौ पेड़ लगाकर उनकी परवरिश करने का निर्देश दिया।