ये है मामला
प्रदेशभर के सात सौ से अधिक अतिथि शिक्षकों ने तीनों खंडपीठों के समक्ष दायर याचिकाओं में कहा कि वे बीते कई सालों से अतिथि शिक्षक हैं। 7 जुलाई 2018 को सरकार ने अतिथि शिक्षकों की नयी भर्ती करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए। इसी आदेश को याचिकाओं में चुनौती देकर कहा गया कि नियमित शिक्षकों की नियुक्ति होने तक याचिकाकर्ताओं को पूर्ववत कार्य करते रहने दिया जाए। अधिवक्ता बृंदावन तिवारी, शशांक शेखर, सत्येंद्र ज्योतिषी, राजेश दुबे ने याचिकाकर्ताओं जबकि अतिरिक्त महाधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने सरकार का पक्ष रखा।
यह कहा कोर्ट ने
– कम अंकों वाले अतिथि शिक्षक नियुक्त करने की अनुमति देना आरटीई एक्ट की मंशा के खिलाफ होगा।
– हर स्कूल की अलग मेरिट सूची बनी है। इस में याचिकाकर्ता स्थान नहीं पा सके।
– एक्ट बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करता है, शिक्षकों कि नहीं।
– बड़ी संख्या में अतिथि शिक्षक नियुक्त करना नियम नहीं हो सकता।
– अतिथि शिक्षक तीन कालखंड जबकि नियमित शिक्षक पूरे कार्यदिवस पढ़ाते हैं। वेतन समानता का दावा अनुचित है।
सरकार को ये दिए निर्देश
– चरणबद्ध तरीके से नियमित शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नीति बनाई जाए।
– नीति बनाने के पांच साल के अंदर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
– नीति को सरकार चार माह के अंदर वेबसाइट पर अपलोड करे।
– पद रिक्त होने पर 7 जुलाई के आदेश के तारतम्य में बनी मेरिट लिस्ट के अनुसार नियुक्ति की जाए।
– मेरिट सूची न होने पर पंजीकृत उम्मीदवारों से फिर आवेदन मंगा कर पूर्व प्रक्रिया के तहत नियुक्ति की जाए।