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दो पहाड़ों को जोड़कर बनना था डैम, सर्वे के बाद कैद होकर रह गई फाइल

locationजबलपुरPublished: Sep 21, 2018 05:36:50 pm

Submitted by:

amaresh singh

डेम बनाने की योजना वर्षों से फाइलों में ही कैद होकर रह गई है

File hold in after survey

File hold in after survey

कटनी/जबलपुर। किसानों को सिंचाई की सुविधा देने दो पहाड़ों को जोड़कर जिले के सुगवां व बूढ़ा गांव के पास डेम बनाने की योजना वर्षों से फाइलों में ही कैद होकर रह गई है। सर्वे के बाद कुछ गांव के विस्थापन का मामला सामने आने के बाद प्रोजेक्ट को रोका गया था लेकिन उसके बाद जल संसाधन विभाग ने ध्यान ही नही दिया। रीठी के देवगांव के आगे बूढ़ा सुगवां गांव के पास विभाग के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आरके राय, एसडीओ जीएस ताम्रकार व उपयंत्री पीएल दुबे ने एजेंसी के ठेकेदार अनिल जैन के साथ मिलकर वर्ष 1985 में अलोनी नदी में दो पहाड़ों को जोड़कर डेम बनाने का प्रस्ताव बनाया था। जिसमें पांच हजार एकड़ रकबा ङ्क्षसचित होना था। इसमें सुगवां, बूढ़ा, देवगांव के साथ 25 गांव के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलना था। जिसमें पन्ना जिले के भी कुछ गांव शामिल थे। उस समय सर्वे कराने के बाद अनुमानित लागत एक करोड़ 10 लाख रुपये आंकी गई थी। सर्वे कराकर फाइल को वरिष्ठ कार्यालय को भेज दिया गया था लेकिन आज तक प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया। जिले के रीठी में सिंचाई के साधनोंं की संख्या बहुत कम है और इसके चलते इन दिनों यह प्रोजेक्ट एक बार फिर से चर्चा में है। जिसको लेकर स्थानीय जन मांग उठाने लगे हैं।


प्रोजेक्ट से डूब में आते गांव

जल संसाधन विभाग ने सुगवां-बूढा के पास जिस स्थान पर अलोनी नदी के साथ पहाड़ों को जोडऩा था, उसमें डेम बनने से भराव में मगरधा व उससे लगे तीन-चार छोटे गांव डूब में आ रहे थे। जिसमें गांवों को भी विस्थापित कराया जाना था। सर्वे का हिस्सा रही एजेंसी के अनुसार विस्थापन को लेकर ही डेम निर्माण की फाइल रुकी थी।


खास बातें
– सुगवां-बूढ़ा के पास अलोनी नदी पर थी दो पहाड़ों को जोडऩे की योजना
– 1985 में कराया था जल संसाधन विभाग ने सर्वे
– एक करोड़ 10 लाख रुपये उस समय आंकी गई थी प्रोजेक्ट लागत
– 25 गांवों को मिलना था सिंचाई का लाभ
– रीठी के साथ पन्ना जिले के गांव तक जानी थी नहर


इनका कहना है
पुराना प्रोजेक्ट है, इससे जुड़े लोगों के साथ मौके का सर्वे करेंगे। यदि संभावनाएं हैं तो प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। मेरी पदस्थापना को बहुत दिन नहीं हुए हैं, इसके प्रोजेक्ट की जानकारी नहीं है।
आरके खुराना, कार्यपालनयंत्री, जल संसाधन विभाग

1985 में विभागीय अधिकारियों ने मेरे माध्यम से सुगवां-बूढ़ा के पास सर्वे कराया था। जिसमें सैकड़ों किसानों को लाभ होता लेकिन बाद में वह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ाया गया।
अनिल जैन, सर्वे में शामिल रहे एसेंजी के सदस्य

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