news facts- चुनाव आयोग की सख्ती का असर, सोशल मीडिया पर भी है नजर
सोशल मीडिया वॉल पर तेज हुआ वार सख्ती से बदरंग होने से बच गईं दीवारें
इससे पहले के चुनावों के दौरान हर गली, मोहल्ले से लेकर कालोनियों में भी घरों की दीवार चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के स्लोगन व नारों से रंग जाती थीं। लोग अपने ही घरों की दीवारों को राजनीतिक रसूखदारियों से नहीं बचा पाते थे। कोई विरोध करता भी था तो प्रत्याशी उसके साथ अभद्रता पर उतारु हो जाते थे। राजनीतिक दलों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपने घरों की दीवारों पर बड़े-बड़े स्लोगन व नारे लिख देते थे। इस पर कई मामलों में आसपास के रहवासी आपत्ति दर्ज कराते थे। चुनाव आयोग ने कुछ समय पहले इस तरह से नारे दीवारों में लिखने पर रोक लगा दी। लेकिन, चुनाव में नारों की अहमियत पहले जैसी ही है। नारे राजनीतिक दलों के चुनाव अभियान में दम भरने और कार्यकर्ताओं में जोश का संचार कर रहे हैं। इस बार के चुनाव में नारे व स्लोगन दीवारों के स्थान पर प्रत्याशियों के प्रचार रथों में लगे फ्लैक्स, बैनरों में नजर आ रहे हैं। इसके अलावा नारे व स्लोगन के जरिए सोशल मीडिया, खासकर फे सबुक , वाट्सऐप में प्रत्याशी एक-दूसरे पर वार प्रतिवार कर रहे हैं।
सम्पत्ति विरुपण के तहत लगातार कार्रवाई
सार्वजनिक सम्पत्ति से लेकर निजी जमीनों में जिन स्थानों पर बैनर, फ्लैक्स लगाए गए थे, उन्हें हटाने ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार बड़ी संख्या में मामले भी दर्ज कराए गए। कार्रवाई में जिला निर्वाचन कार्यालय की टीम शामिल थीं।
आचार संहिता लागू होने के साथ ही सार्वजनिक दीवारों पर राजनीतिक दलों के नारे लिखने पर या झंडे बैनर लगाने पर कार्रवाई की गई है। सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है।
– नमो शिवाय अरजरिया, एसडीएम व उप जिला निर्वाचन अधिकारी