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गंदे नाले बने नर्मदा के दुश्मन, कम हो रही ऑक्सीजन

locationजबलपुरPublished: Feb 15, 2019 02:00:16 am

Submitted by:

shyam bihari

तेजी से बैक्टीरिया पैदा हो रहे हैं। ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है। इससे जलीय जंतुओं पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

narmada

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जबलपुर. गंदे नालों का पानी मिलने से नर्मदा जल मैला व प्रदूषित हो रहा है। उसमें तेजी से बैक्टीरिया पैदा हो रहे हैं। ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है। इससे जलीय जंतुओं पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि, अमरकंटक से लेकर शहर के बीच नर्मदा तट पर बड़ी बसाहट और औद्योगिक क्षेत्र नहीं होने से पानी का प्रदूषण खतरे के स्तर से नीचे है। लेकिन, लगातार बढ़ रही बैक्टीरिया की संख्या चिंता का सबब बन गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बैक्टीरिया समूह (कॉलिफॉर्म) की संख्या तीन साल में करीब आठ एमपीएन/१०० एमएल बढ़ गई है।
चौंका रहा ललपुर का पानी-अमरकंटक से शहर तक नर्मदा का जल पीसीबी के शुद्धता/प्रदूषण के मानक में ए श्रेणी पर है। नदी के प्रदूषण स्तर की जांच के लिए पीसीबी हर बड़े शहर में नदी के प्रवेश और शहरी सीमा के पार पानी के नमूने लेता है। इसमें ग्वारीघाट से आगे ललपुर के पास के पानी की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा दो से अधिक होने पर पानी प्रदूषित माना जाता है। शहर में प्रवेश से पहले जमतरा घाट पर नदी के पानी की जांच में महज १.३ मिली। जबकि, ललपुर में बीओडी ३.५५ मिला। इतनी मात्रा में बीओडी अमरकंटक से बरमान के बीच और कहीं नहीं है। इसकी बड़ी वजह शहर के गंदे नालों के पानी का बिना ट्रीटमेंट के नदी में मिलना माना जा रहा है।
बीमार कर सकता है यह पानी-शोधकर्ता शशांक जैन के अनुसार जमतरा से ग्वारीघाट के बीच शहर के कई नाले नदी में मिल रहे हैं। इनके जरिए मानव और पशुओं के अपशिष्ट सहित डिटर्जेंट और रसायन वाला पानी सीधे नदी में घुल रहा है। मल को पचाने वाले कॉलिफॉम्र्स की मात्रा पानी में बढ़ रही है। पीसीबी की रिपोर्ट में टी. कॉलीफॉम्र्स (बैक्टीरिया समूह) की मात्रा बढऩे का इशारा कर रही है। इसमें नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया के बढऩे का अंदेशा है।
सबसे बेहतर स्थिति में- पीसीबी ने नदी के जल को अशुद्धता के आधार पर ए, बी, सी और डी श्रेणी में बांटा है। ए शुद्धता की श्रेणी है। पीसीबी में वरिष्ठ वैज्ञानिक एसके खरे के अनुसार बरमान तक नर्मदा का जल ए श्रेणी में है। इस क्षेत्र में नदी के पानी में बीओडी की मात्रा दो से कम है। डी. ऑक्सीजन की मात्रा पांच से ज्यादा है। सीवर, घरेलू वेस्ट, केमिकल वाले पानी के मिलने पर बीओडी की मात्रा बढ़ती है। लेकिन, शहर के आसपास स्थिति नियंत्रण में है। बीओडी दो से ज्यादा और डी ऑक्सीजन पांच से कम हो तो श्रेणी बी होता है।

 

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