कई हजार बाने व अग्निझूला आकर्षण का केंद्र, माता के जयकारे भी गूंजे इस दौरान भारी सुरक्षा बल मौजूद था। जवारा चल समारोह में बूढ़ी खेरमाई के उपासक आदिवासी समुदाय की बड़ी संख्या में उपस्थिति थी। दूर दूर से आए आदिवासियों ने माता के जवारों का दर्शन पूजन किया। जवारा समारोह को देखने मार्ग में दोनों तरफ बड़ी संख्या में श्रद्धालु खड़े रहे। प्रबंधक रोहित दुबे, सचिव दिनेश राठौर, कोषाध्यक्ष ब्रजबिहारी नगरिया, दिलीप दुबे, सौरभ दुबे, सिद्धांत पाठक, राजू महाराज, प्रशांत गुप्ता, शेलेन्द्र नामदेव, विनायक महाराज, दीपक यादव, सावन नामदेव, रचित मिश्रा, बंटी नामदेव, यश नामदेव, गौरव सोनी, तुषार की मौजूदगी थी।
महा राज राजेश्वरी धूमावती शक्तिपीठ की अधिष्ठात्री देवी बूढी खेरमाई का जवारा चल समारोह सोमवार रात 8 :00 बजे मंदिर प्रांगण से प्रारंभ हुआ। चल समारोह मछरहाई, छोटा फवारा, तमरहाई चौक, दीक्षितपुरा, पांडे चौक, बड़ा फुवारा, सराफा, कोतवाली से होते हुए हनुमान ताल पहुंचा, जहां जवारे का विसर्जन किया गया। इस जवारा चल समारोह में सैकड़ों बानो, कलश, ज्योति, खप्पर और बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। पंडा खप्पर लेकर चल रहे थे। 21 फनी का बाना विशेष आकर्षण था।
मंदिर के व्यवस्थापक सौरभ दुबे ने बताया कि इस जवारा चल समारोह में कई हजार बाने, कलश, ज्योति, खप्पर और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति थी। अग्नि झूला विशेष आकर्षण था। 1008 आरती का महासमूह और वाराणसी के 108 डमरू का समूह, बैंड और आतिशबाजी समारोह में विशेष आकर्षण का केन्द्र था।