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यहां पुलिस वालों को फाइल बढ़वाने देनी पड़ती है रिश्वत, बिना पैसे नहीं होता काम- देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Feb 13, 2019 10:07:05 am

Submitted by:

Lalit kostha

यहां पुलिस वालों को फाइल बढ़वाने देनी पड़ती है रिश्वत, बिना पैसे नहीं होता काम- देखें वीडियो

यहां पुलिस वालों को फाइल बढ़वाने देनी पड़ती है रिश्वत, बिना पैसे नहीं होता काम- देखें वीडियो

यहां पुलिस वालों को फाइल बढ़वाने देनी पड़ती है रिश्वत, बिना पैसे नहीं होता काम- देखें वीडियो

राहुल मिश्रा@जबलपुर। ये तो देखा-सुना जाता है कि पुलिसकर्मी की धौंस हर जगह चलती है। पर जबलपुर में एक ऐसी जगह भी है जहां यह धारणा उलटी होती नजर आती है। मप्र हाइकोर्ट की मुख्यपीठ स्थित हाइकोर्ट स्थित महाधिवक्ता कार्यालय की क्रिमिनल शाखा में कुछ ऐसा ही देखने में आ रहा है। यहां दूरदराज से केस डायरी लेकर आये पुलिसकर्मियों से डायरी जमा कराने के लिए खुलेआम रिश्वत मांगी जाती है। न देने वाले पुलिसकर्मियों की डायरी जमा करने में रोड़े अटकाए जाते हैं। मजबूरन पुलिसकर्मियों को यहां के बाबुओं की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है। इस अवैध वसूली के कारनामे को कैमरे में कैद कर लिया गया।

news facts-

– यहाँ पुलिस की नहीं, बाबुओं की चलती है धौंस
– डायरी जमा करना हो तो देनी पड़ती है बख्शीश
-हाइकोर्ट की रजिस्ट्री शाखा में खुले आम अवैध वसूली
-एक पुलिसकर्मी से ऐंठे जाते हैं 20-100 रु
ये हुआ वाकया-
रजिस्ट्री शाखा में दूरस्थ जिले के पुलिस थानों से डायरी लेकर जमा करने के लिए आये पुलिसकर्मियों की लंबी कतार लगी थी। जो कर्मी बाबू की मुट्ठी गर्म कर रहे थे, उनकी डायरियां तत्काल व लाइन तोड़कर भी जमा हो रही थीं। जबकि जो कर्मी नियमानुसार अपनी बारी से डायरी जमा करना चाह रहे थे, उन्हें शाखा में तैनात स्टाफ कई खामियां निकाल कर लटका रहे थे। ऐसे ही एक पुलिसकर्मी से डायरी जमा करने में बाबू ने जैसे ही खामियां निकालना शुरू कीं, उसने अपनी जानकारी के आधार पर समझ लेने (रिश्वत देने का) आश्वासन दे दिया। काम पूरा होकर पावती मिलते ही उसने पैंट की दाहिनी जेब से निकालकर 20-20 रु के 2 नोटों के बंडल में लपेटे हुए 10 रु के 1 नोट सहित कुल 50 रु तैनात बाबू के दाहिने हाथ मे थमा दिए। तत्काल बाबू ने रकम को जेब के हवाले कर दिया। वहीं खड़े पूरे घटनाक्रम को देख रहे पत्रिका के सूत्र ने मोबाइल फोन पर इसकी वीडियो रेकॉर्डिंग कर ली। जो पत्रिका के पास मौजूद है।

लौटने की जल्दी—
दरअसल दूरदराज से आये पुलिसकर्मियों को वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा डायरी जमा कर जल्दी लौटने के निर्देश दिए जाते हैं। इसके चलते उन्हें डायरी जमा कर लौटने की जल्दी रहती है। रजिस्ट्री शाखा में इसके लिए लगने वाली लाइन और डायरी की तकनीकी खामियों के चलते इसके लौटा दिए जाने की संभावनाओं को नकारने के लिए पुलिसकर्मी रिश्वत देने को तैयार हो जाते हैं। डायरी जमा करने आये अधिकांश पुलिसकर्मियों के मुताबिक रकम छोटी होने से उन्हें इसमें खास परेशानी भी नही मालूम पड़ती।
100 डायरी प्रतिदिन—
जानकारी के अनुसार रजिस्ट्री शाखा में प्रतिदिन 100 के आसपास डायरियां कोर्ट में पेश करने के लिए जमा होती हैं। इनमे से हर एक डायरी पर 20-100 रु तक कि मांग की जाती है।

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