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वजूद के लिए जूझ रहे तालाब, नौका विहार-फव्वारे बंद, मिल रहा ड्रेनेज का पानी

locationजबलपुरPublished: Jul 21, 2019 01:24:35 am

Submitted by:

shyam bihari

सूपाताल बदइंतजामी का शिकार, गुलौआताल में फैली चोई, रानीताल-हनुमानताल में

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यह है स्थिति
-123.05 लाख से पुनरुद्धार व सौंदर्यीकरण
ये काम हुए
-डीसिल्टिंग
-घाट निर्माण व मरम्मत
-पिचिंग, फें सिंग, पाथवे
-फ्लोटिंग फाउंडेशन
-सड़क की ओर पौधरोपण
जबलपुर। नौका विहार एक दशक पहले बंद हो गया। फ व्वारे वर्षों से बंद हैं। तालाब में अंडर ग्राउंड ड्रेनेज का पानी मिल रहा है। आए दिन मछलियां मरती हैं। ये हाल उस सूपाताल का है, जिसे संवारने झील संरक्षण प्राधिकरण ने सवा करोड़ रुपए के लगभग राशि खर्च की थी। व्यू प्वाइंट देखने आने वालों के लिए यहां मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। तालाब के पुनरुद्धार व सौंदर्यीकरण के बाद उसके रखरखाव व संचालन का जिम्मा नगर निगम को सौंप दिया गया। कई साल तक निगम ने तालाब से दूरी बनाए रखी। पिछले सात साल से निगम तालाब परिसर में स्थित कैफे टेरिया का कमाई के लिए संचालन कर रहा है। लेकिन, तालाब के रखरखाव व यहां आने वालों को मनोजरंजन के साधन मुहैया कराने के लिए कोई पहल नहीं की गई। अपने शहर के निगम के पास झील सेल भी नहीं है। भोपाल ये तमगा हासिल कर चुका है और अब इंदौर भी इस दिशा में जोर लगा रहा है।
गुलौआताल के पानी में बदबू
गुलौआताल को संवारने निगम ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। ये स्थल आकर्षक व्यू प्वाइंट के रूप में तो विकसित हो गया है, लेकिन क्षेत्रीयजनों का कहना है की तालाब के पानी से अक्सर दुर्गंध आने लगती है। इतना ही नहीं तालाब में चारों ओर कचरा भी ऊ ग गया है। ऐसे में रखरखाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
हनुमानताल में मर रही हैं मछली
सघन रहवासी इलाके बीच स्थित हनुमानताल में आसपास के ड्रेनेज का पानी मिल रहा है। जिसके कारण तालाब में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा हो चुका है की पिछले महीनों में कई बार यहां मछली मर चुकी हैं।
रानीताल सीवर टैंक में तब्दील
रानीताल में लगभग 25 एकड़ में पानी है। इसमें चारों ओर से आकर नालों का गंदा पानी मिल रहा है। इसके कारण ये तालाब सीवर टैंक में तब्दील हो गया है।
हर साल करोड़ों का प्रावधान
तालाबों व झील संवर्धन के नाम पर हर साल निगम के बजट में करोड़ों रुपए का प्रावधान किया जाता है। इस बार भी बजट में पांच करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद शहर के तालाबों की ठीक ढंग से देखभाल नहीं हो रही है। सूपाताल, गुलौआ ताल, इमरती तालाब व शाही तालाब, जिनको पिछले सालों में संवारने पर बड़ी राशि खर्च की गई। उनके जल में भी प्रदूषण बहुत ज्यादा है। झील सेल जैसी कोई व्यवस्था न होने के कारण निगम इन तालाबों का भी बेहतर रखरखााव नहीं कर पा रहा है।
36 तालाब बचे
फिलहाल शहर में माढ़ोताल, अधारताल, कं चनपुर, भड़पुरा, गोकलपुर, करौंदी, खंदारी, हनुमानताल, रानीताल, गुलौआताल, शाहीताल, कछपुरा, महाराज सागर, गढ़ा, जिंधाई की तलैया, बघाताल गढ़ा, कोलाताल गढ़ा, मछहरी बिजोरी गढ़ा, फूलसागर तालाब गढ़ा, मडफ़ाई तालाब पुरवा, सूरजताल पुरवा, इमरती तालाब पुरवा, बकसेरा तालाब पुरवा, अवस्थीताल पुरवा, बालसागर, पुरवा, गुल्लू की तलैया पुरवा, संग्रामसागर पुरवा, सगड़ा तालाब, रमनगरा, ठाकुरताल बदनपुर, देवताल, सूपाताल, गंगासागर, गौरवताल बदनपुर, पांडुताल रामपुर, जलपरी रामपुर, ककराही तालाब गोरखपुर, महानद्दा तालाब, खंबताल व भीटा ताल बचे हैं।

सूपाताल समेत अन्य तालाबों को संरक्षित करने के साथ ही शहरवासियों व पर्यटकों को अच्छे व्यू प्वाइंट मुहैया कराने आवश्यक पहल करेंगे। इस दिशा में भी कदम उठाएंगे जिससे की झील सेल भी गठित की जा सके।
आशीष कुमार, आयुक्त, नगर निगम

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