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जबलपुर

chana scam: इस अफसर के इशारे पर हुआ खेल, अब आमरण अनशन करेंगे किसान

चना, मसूर व सरसों की खरीदी में 15000 क्विंटल से ज्यादा की हेराफेरी

जबलपुरSep 20, 2018 / 03:00 pm

Premshankar Tiwari

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चना घोटाला: अब आमरण अनशन करेंगे किसान

जबलपुर। पाटन व शाहपुरा मंडी में हुए करोड़ों रुपए के चना, मसूर और सरसों खरीदी घोटाले को लेकर किसानों में जमकर आक्रोश है। प्रकरण को लेकर अब किसानों ने आमरण अनशन की तैयार कर ली है। कृषक रंजीत पटेल, विवेकरंजन शर्मा, सुखलाल साहू आदि का कहना है कि खरीदी में हुए व्यापक भ्रष्टाचार के मामले में केवल एक अधिकारी पर मामला दर्ज करके प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जबकि इसमें कई अफसर शामिल हैं। मध्यभारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ योगेश द्विवेदी की भूमिका सबसे अधिक संदिग्ध है। अब कलेक्ट्रेट के समक्ष आमरण अनशन करके द्विवेदी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की मांग की जाएगी। कलेक्टर व अन्य अधिकारियों को मामले के पुख्ता सबूत भी सौंपे जाएंगे।

जांच पर उठे सवाल
कृषक नेता रंजीत पटेल व एडवोकेट विवेक रंज शर्मा के अनुसार नाफेड ने जबलपुर जिले में चना, मसूर व अन्य खाद्यान्न की खरीदी के लिए मध्यभारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के साथ एग्रीमेंट किया था। इस कंपनी के सीईओ योगेश द्विवेदी ने जबलपुर की एक प्रोड्यूसर कंपनी को अपने बिहाफ में चना, मसूर व अन्य उत्पादों की खरीदी के लिए अधिकृत किया था। इस कंपनी के सीईओ कुलदीप शुक्ला के खिलाफ खरीदी में धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज हो चुका है। पटेल व शर्मा की मानें तो कुलदीप इस घोटाले का महज एक छोटा सा मोहरा है। इसमें और भी कई बड़े अफसर पर चेहरे शामिल हैं। जांच की गति धीमी है इसलिए इनका नाम अब भी सामने नहीं आ पा रहा है।

ऑनलाइन और ऑफलाइन का खेल
कृषक रंजीत पटेल व विजय दुबे के अनुसार केवल शहपुरा और पाटन कृषि उपज मंडी में चना खरीदी की सूची में ही भारी अंतर है। इसमें करीब 12000 क्विंटल चना, 1500 क्विंटल मसूर और सरसों की खरीदी में भी भारी गोलमाल हुआ है। पूरा खेल ऑनलाइन व ऑफलाइन खरीदी के नाम पर किया गया है। पटेल ने दावा किया है कि हमारे पास वह सूची उपलब्ध है, जिसमें ऑफ लाइन खरीदी की गई है। इस सूची में उन सैकड़ों किसानों के नाम हैं ही नहीं, जिनका नाम ऑनलाइन सूची में दर्ज है। ऑनलाइन सूची में सेटिंग के तहत मनमाफिक ढंग से चहेते किसानों के नाम जोड़ दिए गए। उनके नाम पर खरीदी दर्शा दी गई और उनके नाम पर भुगतान कराकर 15 करोड़ रुपए से अधिक का फर्जीवाड़ा किया गया है। ऑन लाइन खरीदी व ऑफ लाइन खरीदी की सूची में नामों का अंतर साफ देखा जा सकता है।

करोड़ों का भुगतान अटका
कृषक व एडवोकेट शर्मा करीब 17 ऐसे किसान सामने आए जिन्होंने मंडी में उतना माल नहीं बेचा, जितना कि उनकी बही में दर्शाकर उनके खाते में पैसा ट्रांसफर किया गया है। किसानों के माध्यम से यह पैसा किसके पास गया यह जांच का विषय है। किसानों ने बताया कि जो असली किसान है उनका अभी भी करोड़ों रुपए का भुगतान अटका हुआ है। जांच व कार्रवाई में विलम्ब की वजह से यह सब हो रहा है। कृषक पटेल व एडवोकेट शर्मा का दावा है कि उनके पास करीब 700 पन्नों की ऑनलाइन व ऑफलाइन खरीदी की सूची है। इसमें पूरा फर्जीवाड़ा साफ दिख रहा है। यह सूची जल्द कलेक्टर को सौंपी जाएगी। इसकी प्रतियां प्रदेश के मुख्य सचिव, कृषि मंत्री व आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के साथ अन्य संस्थाओं को भी दी जा रही हैं। किसानों का आरोप है कि पूरा खेल मध्यभारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ योगेश द्विवेदी के इशारे पर खेला गया है। द्विवेदी के खिलाफ यदि जल्द एफआईआर दर्ज नहीं की जाती और ठोस कार्रवाई नहीं होती तो कलेक्ट्रेट के समक्ष आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। द्विवेदी का पूरा काला चिट्ठा जनता के सामने लाया जाएगा।

सीईओ ने कहा मामला जांच में
मध्यभारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ योगेश द्विवेदी का कहना है कि अनियमितता के मामले की जांच रही है। स्थानीय प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा की गई गड़बड़ी का मामला सामने आया था। इस पर इसके सीईओ कुलदीप शुक्ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। कुछ किसान गलत तरीके से दबाव बनाने के लिए मेरा नाम आगे कर रहे हैं। किसानों के आरोप निराधार हैं। पूरी खरीदी पारदर्शिता पूर्ण है। मामले की जांच में सब कुछ स्वत: सामने आ जाएगा।

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