नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु का दर्जा दिया गया है। बृहस्पतिजी देवगुरु भी हैं और भाग्य व धन के कारक माने जाते हैं। व्यक्ति के जीवन में भाग्य सबसे अहम भूमिका निभाता है और भाग्य के निर्धारक बृहस्पति की कुंडली में स्थिति से यह अच्छा या बुरा बनता है। कुंडली में बृहस्पति की स्थिति अच्छी है, वे उच्च के हैं, मित्र स्थान में हैं, कारक हैं , क्रूर ग्रहों की युति या दृष्टि नहीं है तो सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता रहेगा। भाग्य आपका हमेशा और भरपूर साथ देगा। इससे उलट यदि कुंडली में बृहस्पति की स्थिति अच्छी नहीं है, बृहस्पति नीच के हैं, शत्रु स्थान में बैठे हैं, अस्त हैं या अकारक हैं तो भाग्य हमेशा रूठा रहेगा। कठिन संघर्ष करने पर भी सफलता मिलना कठिन होगा।
पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि कुंडली में बृहस्पति की स्थिति अच्छी न हो, भाग्य साथ न दे रहा हो तो बृहस्पतिदेव की कृपा बहुत जरूरी है। इसके लिए बृहस्पति मंत्र जाप जरूरी है। सरल मंत्र ऊं बृं बृहस्पतयै नम: या तांत्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम: का जाप करें। शुक्ल पक्ष के किसी भी गुरुवार से इन मंत्रों में किसी भी एक मंत्र का जाप शुरु करें और 40 दिन में 19 हजार जाप पूरे करें। इसके बाद बृहस्पतिजी की कृपा से आपका जीवन बदलने लगेगा। यह मंत्र जाप जरूर फल देता, इसलिए मनोयोग से जाप करें। 19 हजार जाप पूरा होने के बाद रोज कम से कम एक माला जाप जरूर किया करें। जीवन भर भाग्य का साथ मिलेगा। देवगुरु बृहस्पति विष्णुजी की पूजा से प्रसन्न होते हैं। विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें, पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ें।