कला हर व्यक्ति में होती है, चाहे वह कोई भी हो। इसकी झलक बचपन में ही दिख जाती है। ऐसे समय में बच्चे को सही दिशा मिल जाती है तो वह उंची चोटी पर पहुंच सकता है। ऐसा मानना डॉ. रेणु पांडे का है। पांडे का कहना है कि हमने कई बच्चों को चित्रकला और मूतिज़्कला में दक्ष किया है लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसे हैं, जो राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सके। इनमें से तीन ऐसे छात्र हैं, जिन्हें बालश्री पुरस्कार मिल सका। हाल ही में दो शिष्यों को भी बालश्री पुरस्कार के लिए चयनित कर लिया गया है, जो जल्द ही बालश्री पुरस्कार से स्मानित होंगे।
लगन बढ़ा रही आगे
कला से जुड़े बच्चों में पाया गया है कि उनमें दृढ़ निश्चय और लगन से वे आगे बढ़ रहे हैं। बच्चों को कला की बारीकियां बताई जा रही है, जिस पर वे सटीक उतर रहे हैं। कला का बेसिक सीखने के बाद कई बच्चे आर्टिस्ट, आकेटेक्ट, डिजाइनर आदि फील्ड में पहुंच गए हैं।
16 वर्ष के बाद क्या करे कलाकार बालभवन में 16 वर्ष पूरा करने वाले बच्चों के साथ यह सबसे बड़ी परेशानी पैदा हो रही है कि वे आखिर कहां अभ्यास करें ताकि उनकी कला में निखार आ सके। ऐसे बच्चों का नियमित रूप से अभ्यास कराया जा रहा है। अभ्यास प्रशिक्षक अपने निवास स्थान जानकीनगर में करा रही हैं ताकि उनकी कला जीवित रहे और उनके शिष्य बेहतर मुकाम हासिल कर सके।
कला से जुड़े बच्चों में पाया गया है कि उनमें दृढ़ निश्चय और लगन से वे आगे बढ़ रहे हैं। बच्चों को कला की बारीकियां बताई जा रही है, जिस पर वे सटीक उतर रहे हैं। कला का बेसिक सीखने के बाद कई बच्चे आर्टिस्ट, आकेटेक्ट, डिजाइनर आदि फील्ड में पहुंच गए हैं।
16 वर्ष के बाद क्या करे कलाकार बालभवन में 16 वर्ष पूरा करने वाले बच्चों के साथ यह सबसे बड़ी परेशानी पैदा हो रही है कि वे आखिर कहां अभ्यास करें ताकि उनकी कला में निखार आ सके। ऐसे बच्चों का नियमित रूप से अभ्यास कराया जा रहा है। अभ्यास प्रशिक्षक अपने निवास स्थान जानकीनगर में करा रही हैं ताकि उनकी कला जीवित रहे और उनके शिष्य बेहतर मुकाम हासिल कर सके।
ये हैं शिष्य
खुशी पॉल (बालश्री पुरस्कृत)
रोहित गुप्ता (बालश्री पुरस्कृत)
शुभमराज अहिरवार (बालश्री पुरस्कृत)
अभय सोंधिया (बालश्री के लिए चयनित)
अंकुर विश्वकर्मा (बालश्री के लिए चयनित) यह सही बात है। 16 वर्ष के बाद बाल भवन में हम बच्चों को नहीं रख सकते हैं। इसके लिए हमने एक प्रस्ताव शासन को भेजा है ताकि आगे इन्हें प्लेटफॉर्म दिए जाने पर विचार किया जा सके।
गिरीश बिल्लोरे, डायरेक्टर, बालभवन
खुशी पॉल (बालश्री पुरस्कृत)
रोहित गुप्ता (बालश्री पुरस्कृत)
शुभमराज अहिरवार (बालश्री पुरस्कृत)
अभय सोंधिया (बालश्री के लिए चयनित)
अंकुर विश्वकर्मा (बालश्री के लिए चयनित) यह सही बात है। 16 वर्ष के बाद बाल भवन में हम बच्चों को नहीं रख सकते हैं। इसके लिए हमने एक प्रस्ताव शासन को भेजा है ताकि आगे इन्हें प्लेटफॉर्म दिए जाने पर विचार किया जा सके।
गिरीश बिल्लोरे, डायरेक्टर, बालभवन