डिलेवरी के समय छोड़ा
खमरिया पुलिस के मुताबिक आयुध निर्माणी खमरिया में कार्यरत संतपाल यादव ने 1985 में पत्नी सुषमा को डिलेवरी के समय मायके में छोड़ दिया और किसी रजनी नाम की महिला के साथ रह रहा था। रजनी की दो संताने हंै। पहली पत्नी सुषमा का एक बच्चा है। संतपाल ने दोनों पत्नियों की तीनों संतानों का नाम सर्विस रेकार्ड में फर्जी तरीके लिखवा दिया था। पहली पत्नी सुषमा की शिकायत करने पर खमरिया थाना पुलिस ने संतपाल के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया, जिसके बाद से वह फरार था।
पुलिस ने किया गिरफ्तार
खमरिया थाना प्रभारी जे मसराम ने बताया कि संतराम ने शासकीय अभिलेख में हेराफेरी कर गलत जानकारी दी, जिसके बाद उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है। मसराम के अनुसार पहली पत्नी को तलाक दिए बगैर संतपताल द्वारा किया गया कारमाना धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है।
इधर न्यायालय पहुंचा केस
जबलपुर जिला कुटुम्ब न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि किसी महिला का प्रथम विवाह शून्य घोषित नहीं हुआ है और उसने दूसरा विवाह कर लिया है तो वह किसी भी स्थिति में दूसरी शादी के लिए भरण पोषण की अधिकारी नहीं होगी। प्रथम अतिरित न्यायाधीश आरपी मिश्रा ने महत्वपूर्ण फैसले में उक्त निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रथम विवाह कायम रहते हुए यदि महिला ने दूसरी शादी कर ली है, तो उसे भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं है। इस मत के साथ न्यायालय ने महिला की ओर से भरण-पोषण के लिए दायर आवेदन को निरस्त कर दिया है
इन्होंने की थी शिकायत
जबलपुर के दमोहनाका क्षेत्र में रहने वाली महिला की ओर से जबलपुर जिला कुटुम्ब न्यायालय में अपने पति के खिलाफ यह याचिका दायर की गई थी। दायर याचिका में भरण पोषण गुजारा भत्ता देने की मांग की गई थी। याचिका में आवेदिका की ओर से कहा गया कि 16 मई 2011 को उसका विवाह न्यू कंचनपुर निवासी पूरन प्रसाद खम्परिया के साथ हुआ था। शादी के कुछ दिन बाद पति और उसके सास-ससुर उसे परेशान करने लगे। गर्भवती होने पर भी उसे परेशान किया जाता रहा। इसकी वजह से आवेदिका बीमार हो गई। इलाज के दौरान आवेदिका का राइट बेबी टयूब निकाल दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि वह भविष्य में मां नहीं बन सकती है। इसके बाद से उसे पति एवं ससुराल पक्ष द्वारा पांच लाख रुपए के लिए परेशान किया जाने लगा था।