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अजब है… बिना पैरों वाले आदमी को पुलिस ने बता दिया कार ड्राइवर

locationजबलपुरPublished: Jan 06, 2019 01:16:23 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

अब राज्य सरकार के गले की फांस बना मामला

ajab gajab, footless car driver

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जबलपुर। पुलिस के कारनामे अक्सर चर्चा का विषय बनते रहे हैं। ऐसा ही एक रोचक मामला एमपी हाईकोर्ट में सामने आया है। इसमें एक एक्सीडेंट केस में पुलिस ने एक व्यक्ति को आरोपी बना दिया है, जिसके दोनों पैर ही नहीं है। आरोप है कि इस आदमी ने अपनी कार से टक्कर मारकर एक महिला को घायल कर दिया है, वहीं आरोपी के अधिवक्ता ने तर्क दिया है कि जब आरोपी के दोनों पैर ही नहीं है, तो वह कार कैसे चला सकता है? एक हादसे में इस व्यक्ति के दोनों पैर पहले ही कट चुके हैं। अब वह विकलांग है।

सरकार से मांगा जवाब
मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जिस व्यक्ति के दोनों पैर नहीं हैं, उसे पर कार एक्सीडेंट का प्रकरण कैसे दर्ज कर दिया गया? शासकीय अधिवक्ता को इस संबंध में आवश्यक निर्देश लेकर जवाब देने को कहा गया। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की सिंगल बेंच ने एक सप्ताह में जवाब मांगा। अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी।

यह है मामला
जबलपुर के सुहागी निवासी अरुण कुमार बाजपेयी ने याचिका में कहा कि उसका पूरनलाल पांडे के साथ प्रापर्टी का विवाद है। पूरन ने 18 मार्च 2018 को अधारताल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि परियट के पास उसकी पत्नी को एक अज्ञात कार ने टक्कर मार दी । एएसआई शंभू पांडे ने तीन माह तक मामले की जांच लंबित रखी। 26 जून 2018 को याचिकाकर्ता के खिलाफ धारा 337, 338 और 279 का प्रकरण दर्ज कर दिया है। वाजपेयी का आरोप है कि उनके खिलाफ दुर्भावना पूर्ण ढंग से यह मामला दर्ज किया गया है।

ये कैसे हो सकता है
आरोपित वाजपेयी की ओर से अधिवक्ता अनुराग साहू, ब्रजेश रजक ने एकल पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता के दोनों पैर नहीं है। इसलिए वह कार चला नहीं सकता। जिस दिन एक्सीडेंट बताया जा रहा है, उस दिन याचिकाकर्ता की आंख का ऑपरेशन हुआ था। वहीं जांच अधिकारी व शिकायतकर्ता रिश्तेदार भी हैं। प्रापर्टी विवाद में समझौता कराने के लिए यह झूठा प्रकरण दर्ज कराया गया। इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक से भी की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रांरभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता को कहा कि वे इस संबंध में सरकार से आवश्यक निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएं।

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