scriptअजब है… मात्र 10 रुपए के गबन पर कलेक्टर ने दिए एफआईआर के निर्देश | ajab-gajab: charged with 10 rupees defalcation | Patrika News

अजब है… मात्र 10 रुपए के गबन पर कलेक्टर ने दिए एफआईआर के निर्देश

locationजबलपुरPublished: Sep 01, 2018 11:26:40 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

सहायक संचालक को बनाया आरोपित

 ajab-gajab: charged with 10 rupees defalcation

ajab-gajab: charged with 10 rupees defalcation

जबलपुर। देश में गबन के नित नए मामले सामने आ रहे हैं। आपने करोड़ों और अरबों रुपए की राशि के गबन के मामले देखे और सुने होंगे, लेकिन शनिवार को एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी चौंका दिया। दरअसल जबलपुर कलेक्टर छवि भारद्वाज ने महज 10 रुपए की शासकीय राशि के गबन के आरोप में एक कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के बाद कलेक्ट्रेट में हड़कम्प की स्थिति रही।

ऐसे पकड़ा अंतर
जानकार सूत्रों के अनुसार कलेक्टर न्यायालय में आयी एक शिकायत की जांच में एक मद में 10 रुपए का अंतर समझ में आया। दरअसल विशाल बागरी नामक व्यक्ति ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत 30 नवम्बर 2016 को तत्कालीन पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की सहायक संचालक को आवेदन दिया। नियमानुसार एमपीटीसी छह रसीद आवेदक को प्रदान नहीं की गई। 10 रुपए की नकद राशि की पावती सहायक संचालक के निर्देश पर कम्पयूटर ऑपरेटर योगेन्द्र राय द्वारा दी गई थी।

नहीं जमा की राशि
जांच की गई तो 10 रुपए की इस राशि की एंट्री कम्प्यूटर पर नहीं पायी गई। यह बात सामने आयी कि इस आवेदन और राशि को आवेदक के सामने सहायक संचालक विल्सन ने अपने पास रख ली। विशाल बागरी ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की। प्रकरण न्यायालय में आने के बाद उस पर सुनवाई हुई। जांच में पाया गया कि विभागीय कार्यालय के रजिस्टर और दूसरे दस्तावेजों में इस राशि का दर्ज होना नहीं पाया गया। यह राशि एवं आवेदन सहायक संचालक ने अपने पास रख ली थी। इसमें दस रुपए की शासकीय राशि गबन परिलक्षित हुआ।

गबन तो गबन है
कलेक्टर छवि भारद्वाज का मामना है कि गबन की राशि कम जरूर है, लेकिन यह मामला गंभीर है। इसमें आरोपित की गलत भावना सामने आयी है। शासकीय राशि यदि एक रुपए की भी हो तो भी इसकी हेराफेरी संगीन अपराध है। दस रुपए की राशि के गबन के मामले में एफआईआर के निर्देश का यह मामला पूरे कलेक्ट्रेट में चर्चा का विषय रहा। जानकारों का कहना है कि कलेक्ट्रेट में कई ऐसे विभाग हैं, जहां कर्मचारी बिना पैसे लिए काम करना तो दूर, बात करने के लिए भी तैयार नहीं रहते। यह बात अलग है कि उनका मामला कागजों में दर्ज नहीं होता। यदि कलेक्टर गोपनीय तौर पंजीयक कार्यालय, तहसीलदार, पटवारी या फिर इस तरह के किसी अन्य अधिकारी और कर्मचारी के दरबार में औचक निरीक्षण करें तो कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो