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मुनाफाखोरी से बचने के लिए वर्कशॉप का भी आयोजन
यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इंडस्ट्री में एंटी-प्रॉफिटियरिंग ( Anti-Profiteering ) नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं। बता दें कि केंद्र व राज्य सरकारों ने 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद कई बार टैक्स दरों में कटौती की है। इस संबंध में एनएए देश के कई शहरों में अपने फील्ड ऑफिसर्स की मदद से वर्कशॉप का भी आयोजन कर रही है। एनएए द्वारा यह प्रयास जीएसटी एक्ट के तहत सभी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। एनएए ने इंदौर, भुवनेश्वर, कोलकाता और बेंगलुरु समेत कई शहरों में बैठक भी की है। इन टैक्स अधिकारियों को साफ कहा गया है कि आप ग्राहकों द्वारा किसी शिकायत का इंतजार न करें, बल्कि खुद जीएसटी एक्ट का उल्लघंन करने वाले मुनाफाखोरी को रोक सकें।
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इस मामले से संबंधित एक सूत्र ने कहा, “सीजीएसटी एक्ट के तहत कमीश्नर को इस बात का अधिकार होता है कि वो किसी अधिकारी को रिटेल दुकानों से वस्तु खरीदकर मुनाफाखोरी की जांच कर सकें। यह अधिकारी इनवॉइस को चेक कर जीएसटी रिफंड के बारे में जानकारी ले सकते हैं। यदि कोई मुनाफाखोरी का मामला सामने आता है तो इसके लिए रद्द किया गया इनवॉइस ही पर्याप्त होगा। आमतौर पर मुनाफाखोरी पर कोई कार्रवाई करने के लिए किसी शिकायत की जरूरत होती है।”
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क्या है जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी का नियम
जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी को अलग तरीके से परिभाषित किया गया है। इसके तहत ग्राहकों को कच्चे माल पर टैक्स छूट या टैक्स कटौती का लाभ नहीं मिलने को मुनाफाखोरी के तौर पर परिभाषित किया गया है। किसी भी बिजनेस के लिए यह पर्याप्त नहीं है कि वो केवल यह दर्शाएं कि उन्होंने अपने टैक्स छूट का कोई लाभ नहीं लिया और इसे ग्राहकों को दिया है। इस नियम की मौलिक बात यह है कि ग्राहकों को टैक्स लाभ दिया जाए। ऐसे में बिजनेस व कारोबारियों को यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वे टैक्स कटौती का लाभ सही स्तर पर ग्राहकों तक पहुचाएं।
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2019 में अब तक एनएए के सामने आए 3 मामले
गौरतलब है कि सरकार की तरफ से लगातार यह प्रयास किए जा रहे हैं कि ग्राहकों को भरपूरा टैक्स लाभ दिया जाए और मुनाफाखोरी करने वाले कारोबारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। साल 2018 में डायरेक्टर जनरल ऑफ एंटी-प्राफिटियरिंग ( DGPA ) ने एनएए को 80 जांच रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें से 29 के खिलाफ एनएए ने अंतिम आदेश जारी कर दिया था। इसमें 9 बिजनेस ऐसे हैं जिन्होंने 559.90 करोड़ रुपए टैक्स लाभ ग्राहकों को नहीं पहुंचाया गया। इस साल अब तक एनएए ने 3 मामलों में अंतिम निर्देश दे दिया है। बता दें कि वर्तमान में कुल 1,216 वसतुओं पर जीएसटी लगता है। इसमें से 183 वस्तुओं पर 0 फीसदी, 308 वस्तुओं पर 5 फीसदी, 178 वस्तुओं पर 12 फीसदी, 517 वस्तुओं पर 18 फीसदी और 28 वस्तुओं पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है।
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