एफआरपी बढ़ने से बढ़ी गन्ने की खेती इसमें कोई दो राय नहीं कि गन्ने के लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 230 रुपए से बढ़ाकर 255 रुपए करने से किसानों की दिलचस्पी गन्ने की खेती में बढ़ी है। यूएसडीए के मुताबिक, चीनी का उत्पादन 2016-17 में 222 लाख टन रहा है। हालांकि भारतीय चीनी मिलों का संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार बीते साल चीनी का उत्पादन 203 लाख टन था। अगले साल 52 लाख हेक्टेयर रकबे में गन्ने का उत्पादन 41.50 करोड़ टन हो सकता है क्योंकि इस साल फिर मानसून की बरसात सामान्य रहने की उम्मीद की जा रही है।
अगले साल चीनी खपत भी बढ़ने के आसार
यूएसडीए के अनुसार, इस साल भारत में चीनी की खपत 265 लाख टन रह सकती है जबकि अगले साल चार फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 275 लाख टन होने का अनुमान है। कीमतों में गिरावट से खाद्य प्रशंस्करण उद्योग, रेस्तरांओं व मिठाई की दुकानों व घरेलू मांग जबरदस्त रह सकती है। अमरीकी एजेंसी के आकलन के अनुसार पिछले छह महीने में भारत में चीनी के दाम में 21 फीसदी की गिरावट आई है और पिछले साल से सात फीसदी भाव मंदा है जबकि बीते सितंबर से फरवरी तक त्योहारी मांग तेज रहने से अक्टूबर 2017 में चीनी का भाव 40,300 रुपए प्रति टन हो गया था जोकि 27 महीने का उच्चतम स्तर था। भारत में चीनी पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगने के बाद आयात होने की संभावना अब नहीं रह गई है। बीते सीजन में भारत ने घरेलू खपत के मुकाबले आपूर्ति कम होने की भरपाई करते हुए 5.5 लाख टन कच्ची चीनी का आयात किया था।
निर्यात की संभावनाएं कम
सरकार ने चीनी मिलों को अनिवार्य कोटे के तहत 20 लाख टन का निर्यात करने को कहा है। मगर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी का भाव भारत की तुलना में कम होने के कारण निर्यात की संभावना कम है। उधर, चीनी उद्योग का कहना है कि कम से कम 50 लाख टन देश से बाहर जाने पर ही घरेलू बाजार में चीनी का भाव सुधरेगा। चीनी उद्योग लगातार इसके लिए सरकार से आर्थिक मदद व प्रोत्साहन की उम्मीद कर रहा है। अगर भारत चीनी निर्यात करता है तो म्यांमार, सूडान, सोमालिया, संयुक्त अरब अमीरात, केन्या, सऊदी अरब भारत के लिए संभावित बाजार हो सकता है।
फिलहाल दामों में तेजी के आसार नहीं यूएसडीए के मुताबिक, इस साल चीनी का अंतिम स्टॉक 115 लाख टन रह सकता है जोकि देश में पांच महीने की कुल खपत के तुल्य है। साथ ही, अगले साल अंतिम स्टॉक 118 लाख टन रह सकता है। अंतिम स्टॉक तीन महीने की खपत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।बंबई शुगर मर्चेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक जैन ने कहा कि फिलहाल घरेलू बाजार में चीनी के दाम में तेजी की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी उपायों से सुधार की उम्मीद की जा रही है मगर बाजार में तेजी तभी आएगी, जब चीनी का निर्यात होगा और आपूर्ति आधिक्य की समस्या दूर होगी।