लेकिन कांग्रेस के विधायक जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। रमेश मीणा ने कहा कि जो जवाब उन्होंने मांगा है, उसका जवाब नहीं दिया गया। इस बीच कांग्रेस के मुख्य सचेतक गोविंद सिंह डोटासरा भी बोलने लगे। कांग्रेसी विधायकों ने खान मामले में सरकार पर घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इस पर मंत्री ने कहा कि खान घोटाला कांग्रेस के शासन में हुआ। इसके बाद मामला बढ़ता गया।
कांग्रेस के विधायकों ने वैल में आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठोड़ ने कहा की मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इसका जितना जवाब दिया गया है, वह पर्याप्त है। इस बार गोविंद डोटासरा ने सरकार पर आरोप लगाया कि घोटालों से संबंधित जो भी सवाल पूछा जाता है, सरकार उसके कोर्ट में विचाराधीन होने की बात कहकर जवाब देने से बच रही है। हंगामा प्रश्नकाल की समाप्ति तक चलता रहा।
वहीं, विधायक अंजू धानका ने विधानसभा में शून्यकाल में चोरी किए ट्रांसफार्मर के मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए अधिकारियों को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने ब्यूरोक्रेसी की लालफीताशाही पर तीखे प्रहार करते हुए कहा कि चोरी किए ट्रांसफार्मर अवैध कॉलोनियों में लग रहे हैं।
उन्होंने प्रमुख सचिव पर भ्रष्टाचारियों को बचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्री खुद उनसे निवेदन की भाषा में कहते हैं कि हुकुम इन्हें हटा लो। इसके बाद तो सदन में हंगामा हो गया और संसदीय कायज़् मंत्री राजेन्द्र राठौड़ को जवाब देना पड़ा राठौड़ ने इस पर विधायक की मंत्री पर कही गई बात पर आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी को अपमानजनक शब्द नहीं बोलने चाहिए, यह गलत है।
मुआवजा नहीं मिला हो तो तीन दिन में मुआवजा दिलाया जाएगा। इस पर विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने व्यवस्था दी कि दिन में मुआवजा नहीं मिलता है तो आसन को बताया जाए जिस पर आसन के स्तर पर कायज़्वाही की जाएगी।