क्या है मामला
रोटोमैक समूह पर बैंकों का लगभग 4,000 करोड़ रुपये बकाया है. यह राशि बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, ऑरियंटल बैंक कॉमर्स, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने दिया है. रोटोमैक मूलरूप से एक कलम बनाने वाली कंपनी है. बैंक ऑफ बड़ौदा से की ओर से शिकायत करने के बाद यह केस दर्ज़ किया गया. रोटोमैक के पास संपत्ति के तौर पर कलम बानने वाले प्लांट हैं.
बैंको के इस कदम के बाद रोटोमैक एक्सपोर्ट और रोटोमैक ग्लोबल बंद होगी. अब किसी भी तरह की रेजल्युशन प्लान की संभावना नहीं है. जैसा कि कंपनी के रेजल्युशन प्रफेाशनल अनिल गोयल ने बताया कि “बैंको ने समयसीमा की अवधि और बढ़ाने की मंजूरी नहीं दी है”. 19 मार्च को शुरुआती दिनों की समयसीमा खत्म होने जा रही है. इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्टसी कोड के मुताबिक पहली समसीमा खत्म होने के बाद लेनदार को 90 दिन और दिए जाते हैं. बैंकों के इस कदम के बाद रोटोमैक समूह के पास बंद के अलावे कोई विकल्प नहीं है.
आपको बता दें कि हफ्ते भर पहले सीबीआई ने रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी और उसके बेटे राहुल कोठारी को लोन डिफॉल्ट केस में गिरफ्तार किया है. ईडी ने अन्य पूंजीपति भगोड़ो से सीख लेते हुए विक्रम कोठारी और उनके परिजनों को जमीन, समुद्र और हवाई रास्ते से भारत छोड़ने पर रोक लगा दी है.