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देश में चीनी का रिकाॅर्ड उत्पादन बनी परेशानी की वजह, नहीं है रखने की जगह

Published: Jul 20, 2018 02:39:26 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

इंडियन शुगर एग्जिम कॉरपोरेशन के अनुसार लगातार दो सीजन में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, अगले साल मिलों के सामने चीनी रखने के लिए जगह की कमी हो जाएगी।

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देश में चीनी का रिकाॅर्ड उत्पादन बनी परेशानी की वजह, नहीं है रखने की जगह

नर्इ दिल्ली। इंडियन शुगर एग्जिम कॉरपोरेशन ने साफ कर दिया है अगर देश में रखी चीनी का निर्यात करना काफी जरूरी है। क्योंकि अगले साल देश में चीनी रखने की जगह नहीं होगी। कॉरपोरेशन के सीईओ अधीर झा के अनुसार लगातार दो सीजन में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। जिससे अगले साल मिलों के सामने चीनी रखने के लिए जगह की कमी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि चीनी का निर्यात होने से ही इस संकट से निजात मिल सकती है। अगर एेसा नहीं होता है तो अगले साल देश में या तो चीनी सड़ेगी या फिर गलेगी?

नहीं हो पाया चीनी का निर्यात
अधीर झा ने बताया कि निर्यात के मोर्चे पर कोई खास प्रगति नहीं हुर्इ है, क्योंकि बरसात के कारण चीनी का निर्यात नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक महज डेढ़ से दो लाख टन चीनी का निर्यात चालू सत्र में हो पाया जबकि निर्यात के सौदे साढ़े तीन लाख टन के आसपास हुए हैं।

कुछ इस तरह के हैं आंकड़ें
देश की चीनी मिलों का शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने अगले सीजन 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का उत्पादन 350-355 लाख टन होने का अनुमान लगाया है, जबकि सालाना घरेलू खपत महज 255 लाख टन है। चालू सत्र में चीनी का उत्पादन 322.50 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल का बकाया स्टॉक 40 लाख टन था। इस प्रकार कुल आपूर्ति 362.50 लाख टन है।

88 लाख टन चीनी बचेगी
सरकार ने एमआईईक्यू स्कीम के तहत चालू सत्र में 30 सितंबर तक 20 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा तय किया है। इस प्रकार अगर 20 लाख टन चीनी का निर्यात होता भी है तो कुल खपत 275 लाख टन होगी और अगले साल के लिए फिर भी तकरीबन 88 लाख टन चीनी बची रहेगी, क्योंकि तमिलनाडु और कर्नाटक में सीजन के अंत में कुछ चीनी का उत्पादन होगा।

नहीं है मिलों के पास पर्याप्त जगह
अधीर झा के अनुसार चीनी का निर्यात अगर नहीं हो पाया तो अगले साल चीनी मिलों के पास चीनी रखने की पर्याप्त जगह नहीं होगी और उनके सामने नकदी संकट अलग बना रहेगा। सरकार ने चीनी का जो न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपए प्रति किलो तय की है उसमें अगर इजाफा किया जाता है तो नकदी की समस्या का कुछ समाधान जरूर होगा क्योंकि ऊंचे भाव पर घरेलू बाजार में चीनी बिकने से मिलों को नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा।

चीनी निर्यात की जरुरत
इस्मा ने कहा कि मिलों के पास नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए 60 से 70 लाख टन चीनी निर्यात करने के उपाय करने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने बुधवार को गन्नों का लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 10 फीसदी की रिकवरी रेट पर 20 रुपए बढ़ाकर 275 रुपए प्रति क्विं टल कर दिया। इस्मा ने इस पर कहा कि सरकार द्वारा अगले सीजन के लिए गन्नों के के लाभकारी मूल्य में वृद्धि करने से मिलों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

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