धोखाधड़ी कम करने कि कवायद
धोखाधड़ी संबंधी जानकारी के साथ एक ही व्यक्ति के पास कई मोबाइल कनेक्शन लेने पर रोक लगाने के लिए कोर्ट ने ये आदेश दिया था। फरवरी 2017 मे लोकनिति फाउंडेशन एनजीओ द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये फैसला लिया था। फाउंडेशन ने ये मांग किया था कि सभी मोबाइल नंबरो को उनकी पहचान और पते के साथ सत्यापन होना चाहिए।
मोबाइल ऑपरेटर्स नहीं उठा पाएंगे ग्राहकों के डाटा का फायदा
इसी को ध्यान मे रखते हुए गलत जानकारी देकर मोबाइल कनेक्शन हासिल करने पर रोक लगाने के लिए कोर्ट ने सिम कार्ड से आधार से लिंक करोन को फैसला लिया है। कोर्ट के आदेश के बाद ये सवाल उठने लगा था कि टेलिकॉम ऑपरेटर्स लोगों के बायोमेट्रिक डाटा अपने फायदे के लिए गलत इस्तेमाल कर सकते है। सरकार ने इस पर आश्वासन दिया है कि ग्राहकों का बायेमेट्रिक डाटा मोबाइल ऑपरेटर्स अपने पास जमा नहीं करेंगे और उनकी पहुंच ग्राहकों को अन्य निजि जानकारी तक भी नही होगी। कोर्ट के आदेश के बाद तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि सरकार इस आइडिया से सैद्धांतिक तौर पर सहमत है। लेकिन लेकिन लगभग 105 करोड़ लोगों मोबाइल उपभोक्ताओं के सत्यापन मे समय लगेगा। अभी मौजूदा समय मे 90 फीसदी से ज्यादा प्रीपेड ग्राहक है जिनका रजिस्ट्रेशन आसान नही होगा।
रिचार्ज के दौरान फार्म भरकर हो सत्यापन
कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार इसके लिए एक प्रक्रिया तैयार करे जिससे मोबाइल रिचार्ज के दौरान ग्राहक को एक फॉर्म दिया जा सकता है। जिसमें उसे आधार समेत अपनी अन्य जरूरी जानकारी भरकर देनी होगी। बिना फॉर्म भरे वह अगला रिचार्ज नहीं कर सकता। कोर्ट ने सरकार को यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक साल का वक्त दिया था। इसकी अंतिम तारीख फरवरी 2018 को खत्म होती है।