गुरुग्राम में बनाया सेंट्रल वेयर हाउस
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने हाल दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस योजना को लागू करने वाली एजेंसी ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूज ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) फरवरी तक केन्द्रों को 650 तरह की दवाएं और उपकरण उपलब्ध करा रही थी। बीपीपीआई वर्तमान में संक्रमण, तेजी से फैल रहे मधुमेह, हृदय रोगों, कैंसर तथा कई अन्य बीमारियों की रोकथाम से संबंधित जेनरिक दवाएं उपलब्ध करा रहा है। सरकार की योजना 700 से अधिक दवाएं, 154 उपकरण सस्ती दर उपलब्ध कराने की है। बीपीपीआई ने जन औषधि केन्द्रों को दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति के लिए गुरुग्राम में सेंट्रल वेयर हाउस की स्थापना की है। इसके साथ ही आठ कैरेयिंग एंड फॉरवार्डिंग एजेंट (एफएंडसी) और आठ वितरकों की नियुक्ति की है। समिति ने कहा है कि आम लोगों तक दवाओं एवं उपकरणों की समय पर पहुंच के लिए वर्तमान वितरण प्रणाली पर्याप्त नहीं है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने हाल दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस योजना को लागू करने वाली एजेंसी ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूज ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) फरवरी तक केन्द्रों को 650 तरह की दवाएं और उपकरण उपलब्ध करा रही थी। बीपीपीआई वर्तमान में संक्रमण, तेजी से फैल रहे मधुमेह, हृदय रोगों, कैंसर तथा कई अन्य बीमारियों की रोकथाम से संबंधित जेनरिक दवाएं उपलब्ध करा रहा है। सरकार की योजना 700 से अधिक दवाएं, 154 उपकरण सस्ती दर उपलब्ध कराने की है। बीपीपीआई ने जन औषधि केन्द्रों को दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति के लिए गुरुग्राम में सेंट्रल वेयर हाउस की स्थापना की है। इसके साथ ही आठ कैरेयिंग एंड फॉरवार्डिंग एजेंट (एफएंडसी) और आठ वितरकों की नियुक्ति की है। समिति ने कहा है कि आम लोगों तक दवाओं एवं उपकरणों की समय पर पहुंच के लिए वर्तमान वितरण प्रणाली पर्याप्त नहीं है।
वितरकों की नियुक्ति बढ़ाने की सिफारिश
समिति ने औषधि विभाग को जरूरत के हिसाब से क्षेत्रीय स्तर पर वेयर हाउसों तथा वितरकों की नियुक्ति की संभावनाओं को तलाशने की सिफारिश की है। समिति ने तकनीक आधारित रीयल टाइम ट्रैकिंग सिस्टम बनाने की भी सिफारिश की है ताकि गड़बड़ियों को संभावना नहीं रहे। बीपीपीआई को वर्ष 2017-18 के दौरान पुनरीक्षित बजट 74.62 करोड़ रुपए का था, जिसमें से उसे 47.64 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। लेकिन इस योजना के तहत 29.63 करोड़ रुपए का ही उपयोग किया गया। इस योजना के शुरू होने के बाद से अब तक बीपीपीआई को कुल 137.88 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं जिसमें से वह 119.88 करोड़ रुपए का वास्तव में उपयोग कर पाया है ।
समिति ने औषधि विभाग को जरूरत के हिसाब से क्षेत्रीय स्तर पर वेयर हाउसों तथा वितरकों की नियुक्ति की संभावनाओं को तलाशने की सिफारिश की है। समिति ने तकनीक आधारित रीयल टाइम ट्रैकिंग सिस्टम बनाने की भी सिफारिश की है ताकि गड़बड़ियों को संभावना नहीं रहे। बीपीपीआई को वर्ष 2017-18 के दौरान पुनरीक्षित बजट 74.62 करोड़ रुपए का था, जिसमें से उसे 47.64 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। लेकिन इस योजना के तहत 29.63 करोड़ रुपए का ही उपयोग किया गया। इस योजना के शुरू होने के बाद से अब तक बीपीपीआई को कुल 137.88 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं जिसमें से वह 119.88 करोड़ रुपए का वास्तव में उपयोग कर पाया है ।