जेट एयरवेज: देश की सबसे पुरानी निजी एयरलाइंस कंपनी जेट एयरवेज को पिछली तीन तिमाहियों से घाटा हो रहा है। कंपनी की कुल देनदारी बढ़कर 15,323 अरब रुपए पर पहुंच गई है। इतना ही नहीं, कंपनी अपने पायलटों को तनख्वाह देने में भी नाकाम है।
एअर इंडिया: देश की सबसे बड़ी विमान कंपनी एअर इंडिया भी मुश्किल दौर से गुजर रही है, जिसके चलते कंपनी 700-800 करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी में जुटी है। कंपनी ये रकम देशभर में अपने 70 आवासीय और कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज को बेचकर जुटाएगी।
स्पाइसजेट लिमिटेड: एक और एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट लिमिटेड पिछली दो तिमाहियों से घाटे में है और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) को भुगतान करने में इसे भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इंडिगो: बाजार की दिग्गज एयरलाइन कंपनी इंडिगो ने भी 2015 के बाद पहली बार हाल की तिमाही में घाटे की घोषणा की है।
सरकार की गलतियों से कमजोर हुआ सेक्टर एयरलाइंस में हो रहे घाटे की असल वजह ये है कि सेक्टर निजी क्षेत्र और सरकार दोनों की गलतियों से कमजोर हुआ है। एविएशन बिजनस की परेशानियों का मुख्य कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के काम करने के तरीके में छिपा हुआ है। सरकार ने क्षेत्र में इस तरह हस्तक्षेप किया, मानो वह अगली बार सत्ता में इसी के बलबूते पर आएगी। नतीजा यह हुआ कि दशकों में अब बाजार का दबाव इस क्षेत्र पर हावी हो गया है। बता दें सरकार ने जेट एयरवेज के लिए भारतीय हवाईअड्डों और दुबई और अबु धाबी के बीच सीटों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया था। इस फैसले से जेट एयरवेज की बड़ी कमाई हुई थी। जेट एयरवेज की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी कंपनी विजय माल्या के किंगफिशर एयरलाइंस को इस तरह का फायदा देने से सरकार ने इनकार कर दिया था। अगर ऐसा ना होता तो किंगफिशर के ईंधन की लागत में कमी आती और वह कुछ समय तक और बाजार में टिक पाती।