scriptशून्य डिग्री तापमान, लद्दाख में 18 हजार फीट की ऊंचाई, कठिन रास्ते भी नहीं रोक सके मेघा की राह | Zero degree temperature, 18,000 feet elevation in Ladakh, even difficu | Patrika News
इंदौर

शून्य डिग्री तापमान, लद्दाख में 18 हजार फीट की ऊंचाई, कठिन रास्ते भी नहीं रोक सके मेघा की राह

शहर की बेटी मेघा जायसवाल ने लेह-लद्दाख में की राइडिंग, बेहद कम ऑक्सीजन और कच्ची सडक़ों पर पिघलती बर्फ के बीच जीता हौसला

इंदौरAug 24, 2019 / 05:29 pm

राजेश मिश्रा

शून्य डिग्री तापमान , लद्दाख में 18 हजार फीट की ऊंचाई, कठिन रास्ते भी नहीं रोक सके मेघा की राह

शून्य डिग्री तापमान , लद्दाख में 18 हजार फीट की ऊंचाई, कठिन रास्ते भी नहीं रोक सके मेघा की राह

इंदौर. शहर में बाइक राइडिंग का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। अब फीमेल राइडर्स भी इसमें बढ़ चढक़र हिस्सा ले रही हैं। हाल ही में शहर की मेघा जायसवाल ने लद्दाख में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर राइडिंग की। वे पहली फीमेल राइडर हैं, जिन्होंने इंदौर से लद्दाख जाकर यह उपलब्धि हासिल की है। इस दौरान उन्होंने कुल 2 हजार किमी की दूरी तय की। श्रीनगर से शुरू हुआ यह सफर सोनमर्ग, जोजिला पास, द्रास, कारगिल फटूला टॉप, लेह, खारदुंगला पास, नुब्रा वैली, हानले, हुंदर, सो मोरीरी, पंगोंग से होते हुए वापस लेह तक पहुंच कर समाप्त हुआ।
मेघा ने बताया, लद्दाख का यह सर्किट दुनिया की सबसे कठिन यात्रा का सर्किट कहलाता है, क्योंकि यहां न तो सडक़ है और न ही किसी अन्य तरह की कनेक्टिविटी। तापमान शून्य के आसपास रहता है। चारों तरफ से पिघलते हुए और जमे बर्फीले पहाड़ हैं। कहीं-कहीं पर सडक़ किनारों पर भी बर्फ जमी होती है। कई जगहों पर बर्फ पिघलने की वजह से बहुत फिसलन होती है। ऐसे में जरा सी भी चूक हुई तो राइडर सीधे गहरी खाई में गिर सकता है। सबसे अधिक मुश्किल आती है ऑक्सीजन लेवल के कारण, जो यहां बेहद कम होता है। समुद्र तल से इन जगहों की ऊंचाई 12 हजार से 18 हजार फीट तक होने से ऑक्सीजन कई जगह इतनी कम होती है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।
घरवालों को बहुत समझाना पड़ा : मेघा ने बताया, लड़कियों को बाइकिंग के लिए परिवार वालों को बहुत कन्वेंस करना पड़ता है। शहर में बाइक चलाने तक तो ठीक है, लेकिन जब लद्दाख जाने की बात हुई तो परिजन ने बिल्कुल मना कर दिया। उन्हें बहुत डर लग रहा था इसलिए दोस्तों को उन्हें समझाना पड़ा। बहुत समझाने के बाद वे मुझे भेजने के लिए तैयार हुए।
शून्य डिग्री तापमान , लद्दाख में 18 हजार फीट की ऊंचाई, कठिन रास्ते भी नहीं रोक सके मेघा की राह

बचपन से था शौक, अपनी सैलेरी से खरीदी बुलेट

मेघा ने बताया, बचपन से ही मुझे बाइक आकर्षित करती थी। कॉलेज में आकर मैंने बाइक चलाना सीखा और नौकरी लगी तो अपनी सैलेरी से सबसे पहले बुलेट ही खरीदी। चूंकि शहर में बाइक चलाना आसान होता है, इसलिए मैंने टफ टै्रक्स पर राइडिंग शुरू की। राइड्स ऑफ राइडर्स ग्रुप से जुड़ी तो ज्ञानदीप श्रीवास्तव और अन्य दोस्तों ने राइडिंग की बहुत सी जरूरी बातें सिखाई। ग्रुप के साथ राइड की तो लगा कि कुछ बड़ा करना चाहिए। इसके बाद लद्दाख जाने का फैसला लिया।

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