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संगीत के यंत्रों से निकल रही आस्था की धुन

locationइंदौरPublished: Sep 05, 2019 11:44:40 am

Submitted by:

Lakhan Sharma

– पेशे से अकाउंटेंट इंदौर के किशोर गेहलोत 15 साल से बनाते आ रहे हैं अनोखी प्रतिमांए

संगीत के यंत्रों से निकल रही आस्था की धुन

संगीत के यंत्रों से निकल रही आस्था की धुन

लखन शर्मा, इंदौर। पेशे से अकाउंटेंट, लेकिन कलाकार भी जोरदार। पिछले 20 सालों से अलग अलग थीम पर गणेश जी की प्रतिमा बनाने वाले किशोर गेहलोत ने इस बार संगीत के यंत्रो से गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की है। यंत्र भी एसे लगाए हैं, जो वर्तमान में संगीत के किसी बड़े कार्यक्रमों में भी देखने को न मिले। क्योंकि राजाओं के समय से प्रचलित यंत्रों का इसमें समावेश किया गया है। जो लोगों ने विरासत के रूप में अपने घरों में सहेज कर रखे थे। इसे देखने दूर दूर से लोग आ रहे हैं।
दरअसल किशोर गेहलोत पिछले 20 सालों से अपने काम के साथ इस शौक को भी अंजाम दे रहे हैं। साल दर साल उनके इस हुनर में भी बढा़ेतरी हो रही है और हर साल कुछ बेहतर प्रतिमाएं सामने आती है। एयरपोर्ट रोड़ स्थित अशोक नगर में रहने वाले किशोर गेहलोत हर साल अलग अलग थीम पर गणेश जी की स्थापना करते हैं। निजी कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी करने वाले किशोर अब तक नारियल, माचिस, कांच के बर्तन, स्टील के बर्तन, मिट्टी क बर्तन, ड्रायफु्रट, साईकिल, नई करंसी, थर्माकोल, नाड़े, डिस्पोजल, मशीनरी संसाधनों सहित अन्य धातुओं से गणेशजी की प्रतिमा बना चुके हैं।

– इन यंत्रों से दिया यह रूप
गेहलोत ने गणेशजी की प्रतिमा बनाने के लिए अपने हर साल आने वाले मित्रों से चर्चा की। इस बार उन्हेंाने संदेश देना चाहा की संगीत वह भाषा है जिसे पुरी दुनिया समझती है। इन्होंने सिंहासन के लिए पिपड़ी, हाथ के लिए चंवर से, मुंह और कान के लिए छोटे ताशे, दांत के लिए शहनाई, बड़े ताशे से पेट, डमरू झांझर से धोती, तबले से घुटने, ढोलक से पैर, रिकार्डिंग फ्लूयट से मूषक और घुंघरू से पंजे का निर्माण किया है। गणेश जी के एक हाथ में वीणा और एक हाथ में झुऩझुऩा पकड़ाया गया है। खासबात है की इसमें लगे कई यंत्र जैसे शहनाई, वीणा, रिकार्डिंग फ्ल्यूट, पिपड़ी ये एसे यंत्र है जो अब कम ही देखने को मिलते हैं।

– खजराना गणेश के रूप में होते हैं विराजित
गेहलोत भले ही किसी भी संसाधनों से प्रतिमा का निर्माण करते हों, लेकिन उसकी स्थापना गणेशजी के रूप में ही होती है। वे अपनी पत्नी चंदा गेहलोत, बेटे श्रीधर गेहलोत और सौरभ गेहलोत के साथ राखी पर विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर जाते हैं। यहां भगवान गणेश को निमंत्रण देते हैं की प्रभु रिद्धी सिद्धी के साथ घर पधारिए। इसके बाद प्रतिमा का निर्माण थीम के हिसाब से करना शुरू कर देते हैं। लगभग १५ दिन में प्रतिमा निर्माण लेती है। पिछले 15 सालों से चले आ रहे इस प्रकल्प में अब हर साल नए नए लोग जुड़ते जा रहे हैं। वर्तमान में संगीत के यंत्रों को दिलवाने में भी इन्होंने ही मदद की। यहां एसे संसाधनों से प्रतिमा का निर्माण हुआ है जिन्हे लोगों ने विरासत के रूप में रखा है।

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