सोशल मीडिया के जरिए कर रही है प्रयास शहर की दो युवा महिलाओं ने स्तनपान से जुड़ी भ्रांतियों से आजादी दिलाने के लिए मुहिम छेड़ रखी हैं। खुद इस अनुभव से गुजरने के बाद उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया को सहारा बनाया और अब अस्पताल और कॉलेज तक पहुंचकर जागरूकता फैला रही हैं। दरअसल, पेशे से एडवोकेट सारिका आटले गुप्ता और बिजनेस वुमन निकिता जैन शहर में मॉम्स कनेक्ट ग्रुप चला रही हैं। ग्रुप नवजात बच्चों की मृत्युदर और कुपोषण दूर करने के काम में जुड़ा है। इसकी सबसे बड़ी वजह स्तनपान को लेकर बनी गलत धारणाएं हैं।
दो साल पहले की थी शुरुआत निकिता बताती हैं, ग्रुप की शुरुआत करीब दो साल पहले की थी। निकिता चार और सारिका तीन साल के बच्चे की मां हैं। बच्चे होने के बाद स्तनपान को लेकर फैली भ्रांतियों के साथ एक अनुभव यह भी हुआ ब्रेस्ट फिडिंग फै्रंडली डॉक्टर्स भी काफी कम हैं। अधिकतर डॉक्टर बच्चे के जन्म के कुछ ही माह बाद सप्लीमेंट या बाहर का दूध लेने की हिदायत देते हैं। इसको लेकर डॉ. निरजा पुराणिक से सलाह ही तो उन्होंने भ्रम तोड़ा। इस दौरान कई महिलाओं से मुलाकात भी हुई तो भ्रांतियों का शिकार थी। इस ओर कुछ करने के उ²ेश्य से मॉम्स कनेक्ट ग्रुप बनाकर व्हाट्स-एप पर महिलाओं को जोडऩे का सिलसिला शुरू हुआ। अब दो ग्रुप में 500 के करीब महिलाएं जुड़ चुकी हैं। ग्रुप में एक्सपर्ट डॉक्टर्स और काउंसलर्स को भी जोड़ा गया। अब ग्रुप अस्पतालों और गल्र्स कॉलेज पहुंचकर जागरुकता का काम कर रहा है। स्तनपान के साथ बच्चों व माताओं की डाइट को लेकर भी काउंसलिंग की जा रही है।
फैक्ट फाइल -विश्व में कुल बाल मृत्यु में से 45 फीसदी मौत पोषक तत्वों की कमी से होती है।
-मप्र में लगभग 14 लाख बच्चों का जन्म प्रतिवर्ष होता है, जिसमें से 4.8 लाख बच्चे ही कोलोस्ट्रम (जन्म के बाद का गाढ़ा पीला दूध) ले पाते हैं
-9.02 लाख बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। जन्म के एक घंटे अंदर स्तनपान प्रारंभ कर 22 फीसदी बाल मृत्यु को कम किया जा सकता है।
-मप्र में लगभग 14 लाख बच्चों का जन्म प्रतिवर्ष होता है, जिसमें से 4.8 लाख बच्चे ही कोलोस्ट्रम (जन्म के बाद का गाढ़ा पीला दूध) ले पाते हैं
-9.02 लाख बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। जन्म के एक घंटे अंदर स्तनपान प्रारंभ कर 22 फीसदी बाल मृत्यु को कम किया जा सकता है।