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धर्मशाला निर्माण के समय अचानक प्रकट हुई थी स्वयंभू शनिदेव की मूर्ति, अमावस्या पर आते हैं हजारों श्रद्धालु

locationइंदौरPublished: Aug 10, 2018 07:59:54 pm

Submitted by:

amit mandloi

5 शनिवार में हल हो जाती है हर समस्या निर्माण अमावस्या

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धर्मशाला निमार्ण के समय अचानक प्रकट हुई थी स्वयंभू शनिदेव की मूर्ति, अमस्या पर आते हैं हजारों श्रद्धालु

इंदौर. शनिदेव को प्रसन्न करना आसान नहीं होता हैं लेकिन इंदौर शहर में एक ऐसा मंदिर है जिसका इतिहास तो अधिक पुराना नहीं है लेकिन कम समय में ही इस मंदिर के चमत्कार आमजन के बीच प्रसिद्ध हो गए। आज हम आपको बता रहे है विध्यांचल की पहाडिय़ों में बसे बाईग्राम में स्थित अद्भुत महिमामयी शनि मंदिर की। ये मंदिर इंदौर शहर से लगभग तीस किमी की दूरी पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो कोई भी शीश झुकाता है उसके सभी कार्य सफल होती है। ये शनिदेव सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
5 शनिवार में हल हो जाती है हर समस्या

श्रद्धालुओं का मानना है कि 5 शनिवार तक ब्रहममुहुर्त में मूर्ति पर तेल चढ़ाकर जो कामना की जाएं वो जरूर पूर्ण होती है। शनि जयंती पर हर साल यहां भव्य मेले का आयोजन होता हे। शनि अमावस्या पर भी यहां अनगिनत श्रद्धालु आते है। श्रावण मास में जब कावड़ यात्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करने के लिए जाते हैं तो मंदिर ट्रस्ट उनके ठहरने की पूरी व्यवस्था करता है।
धर्मशाला की खुदाई के समय प्रकट हुई थी मूर्ति

इस मंदिर की भव्यता हर किसी को आकर्षित करती है। स्थानीय निवासियों और मंदिर के पुजारियों के अनुसार जयपुर के एक धनी व्यक्ति मधुबाला सुरेंद्रसिंह मीणा का ससुराल था बाई ग्राम। वे स्वभाव से ही दयालु थे और खुद को जनकल्याण के लिए समर्पित रखते थे। इसीलिए उन्होंने गांव में एक धर्मशाला बनाने का विचार बनाया।
धर्मशाला निर्माण के लिए जमीन की खुदाई का काम शुरू ही हुआ था कि शनि महाराज की स्वयंभू प्रतिमा निकल आई। इस घटना ने हर व्यक्ति को आश्चर्य में डाल दिया। मूर्ति के इस तरह अचानक से निकल आने से मीणा बहुत सोच विचार में पड़ गए। कई बुद्धिजीवियों से विचार-विमर्श करने के बाद उन्होंने ये तय किया कि अब यहां धर्मशाला नहीं बल्कि शनि देव का मंदिर बनाया जाएगा और इस तरह इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।
उत्तरमुखी गणेश और दक्षिणमुखी हनुमान के दर्शन का मिलता है अवसर

2 करोड़ से अधिक की लागत से बने इस मंदिर में 2 अप्रेल 2002 को शनि देव की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई। शनि देव के साथ ही यहां सूर्य, राहु, केतु, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और चंद्र सभी नवग्रहों की मूर्तियां भी स्थापित की गई है। मंदिर प्रागंण में ही उत्तरमुखी गणेश और दक्षिण मुखी हनुमान के दर्शनों का भी लाभ ले सकते हैं।

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