5 शनिवार में हल हो जाती है हर समस्या श्रद्धालुओं का मानना है कि 5 शनिवार तक ब्रहममुहुर्त में मूर्ति पर तेल चढ़ाकर जो कामना की जाएं वो जरूर पूर्ण होती है। शनि जयंती पर हर साल यहां भव्य मेले का आयोजन होता हे। शनि अमावस्या पर भी यहां अनगिनत श्रद्धालु आते है। श्रावण मास में जब कावड़ यात्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करने के लिए जाते हैं तो मंदिर ट्रस्ट उनके ठहरने की पूरी व्यवस्था करता है।
धर्मशाला की खुदाई के समय प्रकट हुई थी मूर्ति इस मंदिर की भव्यता हर किसी को आकर्षित करती है। स्थानीय निवासियों और मंदिर के पुजारियों के अनुसार जयपुर के एक धनी व्यक्ति मधुबाला सुरेंद्रसिंह मीणा का ससुराल था बाई ग्राम। वे स्वभाव से ही दयालु थे और खुद को जनकल्याण के लिए समर्पित रखते थे। इसीलिए उन्होंने गांव में एक धर्मशाला बनाने का विचार बनाया।
धर्मशाला निर्माण के लिए जमीन की खुदाई का काम शुरू ही हुआ था कि शनि महाराज की स्वयंभू प्रतिमा निकल आई। इस घटना ने हर व्यक्ति को आश्चर्य में डाल दिया। मूर्ति के इस तरह अचानक से निकल आने से मीणा बहुत सोच विचार में पड़ गए। कई बुद्धिजीवियों से विचार-विमर्श करने के बाद उन्होंने ये तय किया कि अब यहां धर्मशाला नहीं बल्कि शनि देव का मंदिर बनाया जाएगा और इस तरह इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।
उत्तरमुखी गणेश और दक्षिणमुखी हनुमान के दर्शन का मिलता है अवसर 2 करोड़ से अधिक की लागत से बने इस मंदिर में 2 अप्रेल 2002 को शनि देव की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई। शनि देव के साथ ही यहां सूर्य, राहु, केतु, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और चंद्र सभी नवग्रहों की मूर्तियां भी स्थापित की गई है। मंदिर प्रागंण में ही उत्तरमुखी गणेश और दक्षिण मुखी हनुमान के दर्शनों का भी लाभ ले सकते हैं।